तमिलनाडु स्थित पंबन में रविवार, छह अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल ‘नए पंबन ब्रिज’ का विधिवत उद्घाटन किया। यह ऐतिहासिक दिन रामनवमी के पावन पर्व पर आया, जब भारत ने अपने रेलवे बुनियादी ढांचे में एक और कीर्तिमान स्थापित किया। नया पंबन ब्रिज अब रामेश्वरम द्वीप को भारत के मुख्य भूभाग से आधुनिक और सुरक्षित तरीके से जोड़ने वाला एक शानदार सेतु बन गया है।
यह पुल लगभग दो दशमलव शून्य सात किलोमीटर लंबा है और पाल्क जलडमरूमध्य पर फैला हुआ है। इसका निर्माण पुराने पंबन ब्रिज की जगह किया गया है, जिसे वर्ष उन्नीस सौ चौदह में अंग्रेजों के समय बनाया गया था। उस पुराने पुल को शेरज़र रोलिंग लिफ्ट तकनीक से तैयार किया गया था, जो अपने समय में इंजीनियरिंग का एक बेजोड़ नमूना था। लेकिन वर्षों से समुद्री लवणता, भीषण मौसम और बढ़ती परिवहन आवश्यकताओं के कारण वह पुल अब तकनीकी रूप से अप्रासंगिक हो गया था।
केंद्र सरकार ने वर्ष दो हजार उन्नीस में इस नए पुल के निर्माण को मंज़ूरी दी थी, ताकि रेलवे यातायात को आधुनिकता के साथ सुरक्षित बनाया जा सके और समुद्री नेविगेशन के लिहाज से भी कोई बाधा उत्पन्न न हो। रेल मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई 'रेल विकास निगम लिमिटेड' ने इस पुल को डिज़ाइन और निर्माण किया है। इसमें अत्याधुनिक तकनीकों, स्टेनलेस स्टील जैसे टिकाऊ निर्माण सामग्री और समुद्री परिस्थितियों से लड़ने के लिए विशेष कोटिंग्स का इस्तेमाल किया गया है।
यह नया पुल पुराने पुल से तीन मीटर ऊंचा है, जिससे समुद्री जहाज़ों की आवाजाही पहले से कहीं अधिक सुगम हो गई है। पुल में एक उन्नत वर्टिकल लिफ्ट तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसके अंतर्गत इसका प्रमुख ‘नेविगेशनल स्पैन’ सत्रह मीटर तक ऊंचा किया जा सकता है, जिससे बड़े समुद्री जहाज़ भी आराम से नीचे से गुजर सकते हैं। यह सुविधा भारत में पहली बार किसी रेलवे पुल में देखने को मिल रही है।
भले ही इस समय पुल पर केवल एकल रेलवे लाइन चालू की गई हो, लेकिन इसका आधार दोहरी पटरियों के हिसाब से डिज़ाइन किया गया है, जिससे भविष्य में यातायात की बढ़ती ज़रूरतों के अनुसार इसका विस्तार किया जा सकेगा। निर्माण कार्य के दौरान भारी सामग्री को एक दुर्गम समुद्री क्षेत्र में पहुँचाना, समुद्री तूफानों और भूकंपीय गतिविधियों से निपटना, और तकनीकी सटीकता के साथ 'ऑटो लॉन्चिंग पद्धति' के ज़रिए पुल का लिफ्ट स्पैन स्थापित करना, ये सभी कार्य अत्यंत जटिल और चुनौतीपूर्ण थे। लेकिन इंजीनियरों और श्रमिकों की अथक मेहनत, तकनीकी समझ और समर्पण ने इस प्रोजेक्ट को समय पर पूरा कर दिखाया।
इस नए पंबन ब्रिज का निर्माण न केवल रेलवे नेटवर्क को मजबूत करता है, बल्कि यह भारत की बढ़ती आधारभूत संरचना क्षमताओं का भी प्रतीक है। यह पुल आज उस दिशा में भारत के बढ़ते कदमों को दर्शाता है, जहाँ हम वैश्विक स्तर पर गोल्डन गेट ब्रिज, टॉवर ब्रिज और ओरेसंड ब्रिज जैसे विश्वप्रसिद्ध पुलों की श्रेणी में खड़े हो सकते हैं।
भारत सरकार ने इस पुल को सौ वर्षों से अधिक की आयु के लिए डिज़ाइन किया है। इसका अर्थ है कि आने वाले कई दशकों तक यह पुल न केवल रेलगाड़ियों और समुद्री यातायात का भरोसेमंद मार्ग बना रहेगा, बल्कि देश के तकनीकी आत्मविश्वास का एक चमकता हुआ उदाहरण भी बना रहेगा।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 'नए भारत की नई गति' बताया और कहा कि यह पुल भारत के विकास की उस धारा का हिस्सा है जो सिर्फ सड़कों या रेलवे तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्र की गति, शक्ति और संकल्प का प्रतिनिधित्व करती है।
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