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भारत के अमीरों को देश नहीं पसंद! 22% चाहते हैं दूसरे देशों में बसना

देश में कम से कम 22 प्रतिशत अति धनाढ्य लोग भारत में रहने की स्थिति, विदेशों में बेहतर जीवन स्तर और अन्य...
भारत के अमीरों को देश नहीं पसंद! 22% चाहते हैं दूसरे देशों में बसना

देश में कम से कम 22 प्रतिशत अति धनाढ्य लोग भारत में रहने की स्थिति, विदेशों में बेहतर जीवन स्तर और अन्य देशों में कारोबार सुगमता जैसे कारणों से भारत के बारह बसना चाहते हैं।

 
देश की अग्रणी संपत्ति प्रबंधक कंपनी कोटक प्राइवेट ने परामर्श कंपनी ईवाई के साथ मिलकर यह सर्वेक्षण किया है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, हर साल 25 लाख भारतीय दूसरे देशों में बसने चले जाते हैं।

इसके निष्कर्षों में कहा गया, सर्वेक्षण में शामिल पांच में से एक अति धनाढ्य व्यक्ति वर्तमान में प्रवास की प्रक्रिया में है या प्रवास की योजना बना रहा है। उनमें से अधिकतर अपनी भारतीय नागरिकता बरकरार रखते हुए अपनी पसंद के देश में स्थायी रूप से निवास करना चाहते हैं।

इसमें कहा गया, वे जीवन स्तर, स्वास्थ्य देखभाल समाधान, शिक्षा या जीवनशैली में सुधार चाहते हैं। दो-तिहाई से अधिक लोगों ने कारोबार सुगमता को भी इसकी मुख्य वजह बताया।

सर्वेक्षण में शामिल लोगों ने प्रवास के निर्णय को ‘‘भविष्य में निवेश’’ बताते कहा कि अपने बच्चों के लिए उत्कृष्ट उच्च शिक्षा की चाहत उन्हें यह विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करती है।

हालांकि, कोटक महिंद्रा बैंक की अध्यक्ष गौतमी गावनकर ने कहा कि स्थानांतरण के निर्णय को देश से पूंजी के बाहर जाने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पूंजी के बाहर जाने की सीमा तय करने से यह सुनिश्चित होता है कि यदि कोई व्यक्ति अपना निवास स्थान बदलता है तो भी धन बाहर नहीं जाएगा।

गावनकर ने कहा कि भारत में रहने वाला एक भारतीय नागरिक प्रति वर्ष केवल 2,50,000 अमेरिकी डॉलर ही निकाल सकता है, जबकि एक प्रवासी को 10 लाख अमेरिकी डॉलर की अनुमति है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि पूंजी देश से बाहर नहीं जाएगी।

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