जज ने कहा कि किताब 'फेंकूजी हैव दिल्ली मा (फेंकू जी दिल्ली में हैं)' पर प्रतिबंध लगाने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन होगा। जज ने कहा कि भारत एक लोकतंत्र है और लोगों को किताब के माध्यम से अपने निजी विचार रखने का पूरा अधिकार है। किताब में 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के कई वादों की सूची है। किताब में दावा किया गया है कि इन दावों को वादों को पूरा करने में मोदी जी विफल रहे हैं।याचिका सामाजिक कार्यकर्ता नरसिंह सोलंकी ने दायर की। जिनका कहना है कि किताब का उद्देश्य मोदी को बदनाम करना है।
सोलंकी ने आरोप लगाया कि किताब की विषय वस्तु और नाम अपमानजनक और अनादर करने की प्रकृति वाला है और इससे प्रधानमंत्री की छवि खराब होगी। सोलंकी कहते हैं कि मोदी जी को पीएम बने अभी दो साल ही हुए हैं। इतने कम समय में उन्हें विफल कह कर उनका मजाक उड़ाना पूरी तरह गलत है। सोलंकी ने कहा कि किताब पिछलेे कुछ माह से बाजार में हैं। उसकी बिक्री हो रही है। अदालत को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।