रक्षा मंत्रालय ने इससे पहले कहा था कि किसी जवान के बचने की संभावना बहुत कम रह गई है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें गहरे शोक के साथ कहना पड़ रहा है कि इनमें से किसी जवान के बचने की संभावना नहीं के बराबर है।’ ये सभी जवान भूस्खलन के कारण बुधवार सुबह फंस गए थे। वह जिस चौकी पर तैनात थे वह सियाचिन ग्लेशियर के पास पाकिस्तान से लगती सीमा है और वास्तविक जमीनी स्थिति से 19,600 फुट ऊंचा है।
उत्तरी कमान के रक्षा जनसंपर्क अधिकारी कर्नल एस. डी. गोस्वामी ने एक बयान में कहा, ‘बचाव दल बहुत खराब मौसम और प्रतिकूल वातावरण का सामना कर हादसे में जीवित बचे लोगों का पता लगाने में बहुत दिक्कत आई। कर्नल गोस्वामी ने बताया कि सेना और वायुसेना के विशेषग्य दलों द्वारा चलाए जा रहे बचाव अभियान के दूसरे दिन आज सुबह विशेष उपकरण विमान से लेह पहुंचाए गए।
उन्होंने बताया कि ग्लेशियर पर तापमान रात को शून्य से नीचे 42 डिग्री सेल्सियस से लेकर दिन में शून्य से नीचे 25 डिग्री सेल्सियस तक होता है। चौकी पर बर्फ के बड़े टुकड़े के गिरने के कारण वह बहुत नीचे धंस गई है। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने कहा, इसे हटाना काफी मुश्किल काम है। उन्होंने बताया, कल के प्रयासों से आगे बढ़ते हुये चौकी तक पहुंचने के लिए आज एक विशाल बचाव दल तैनात किया गया।