हाल ही मेंं निकाली गई रथ यात्रा के रास्तों में कुछ पोस्टर लगाए गए, जिनमें साफ कहा गया कि भारत की गाय को ही धार्मिक श्रद़धालु गौ माता समझें। इन्हीं गायों के उत्पाद को पवित्र माना जाए। पोस्टर में विदेशी गायों का बहिष्कार करने की अपील भी की गई।
अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार पोस्टर में गुजरात में हुई दुग्ध क्रांति के लिए जिम्मेदार जर्सी और होलस्टीन फ्रेसियन स्पीशिज की विदेशी गायों को नजरअंदाज करतेे हुए सिर्फ भारतीय गायों पर ही जोर देने को कहा गया। पोस्टर में साफ लिखा था कि सभी गायों को गौ माता का हक नहीं दिया जा सकता। अहमदाबाद म्युनिशपल कारपोरेशन के बाहर बकरोल के बनसारी गौशाला का एक पोस्टर लगा था। जिसमें कहा गया कि धार्मिक श्रद़धालु सिर्फ भारतीय गायों पर ही ध्यान रखें। उनकी ही माता के रुप में पूजा करें। और उनको चारा खिलाएं।
पोस्टर के अनुसार भारत की देशी गायों का दूध, यूरीन तथा गाेबर पवित्र है। पोस्टर में एक वैज्ञानिक शोध का हवाला देते हुए कहा गया कि भारतीय गायों के दूध में ए-2 प्रोटीन पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से सर्वोत्तम है। देशी गायोंं के यूरीन को सोने की तरह मूल्यवान कहा गया। बैनर में कहा गया कि विदेशी गाय को पवित्र नहीं कहा जा सकता। इनका दूध, यूरीन और पेशाब गुणकारी नहीं होता। इनके दूध में ए-1 प्रोटीन पाया जाता हैै। जो स्वास्थ्य के लिहाज से गुणकारी कम होता है।