सरकारी सूत्रों ने बताया कि राजखोआ को बिल पर मुहर लगने के बाद हटाया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'यह बिल मंजूरी के लिए बुधवार को विधानसभा में रखा जा सकता है। हम इस बिल पर मुहर लगने की राह में कोई बाधा नहीं आने देना चाहते हैं।' इससे पहले राजखोआ ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने उनसे कहा है कि वह 'स्वास्थ्य से जुड़े कारणों' का हवाला देते हुए पद छोड़ दें। राजखोआ ने कहा वह इस्तीफा नहीं देंगे और वह चाहते हैं कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उन्हें बर्खास्त करें।
जीएसटी पर राज्य सरकार की मुहर लगने का मामला अहम है क्योंकि केंद्र सरकार इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजने से पहले इस पर ज्यादातर राज्यों की सहमति ले लेना चाहती है। अब तक 29 में से 16 राज्यों ने इस बिल पर मुहर लगाई है। इस तरह 50 प्रतिशत राज्यों की सहमति की शर्त पूरी हो चुकी है। अरुणाचल के अलावा पंजाब, बंगाल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश सहित कुछ राज्यों ने जीएसटी को अभी मंजूरी नहीं दी है।
होम मिनिस्ट्री के सीनियर अधिकारियों ने राजखोआ को संकेत दिया था कि उन्हें स्वास्थ्य के कारणों का हवाला देकर पद छोड़ देना चाहिए। राजखोआ ने कहा था कि अगर मंत्रिपरिषद की सलाह पर राष्ट्रपति उन्हें हटाना चाहें तो वह पद छोड़ देंगे। राजखोआ ने कहा था, 'मुझे 29 अगस्त को गुवाहाटी में एक प्राइवेट व्यक्ति से कॉल मिली कि मुझे पद छोड़ देना चाहिए। उन्होंने मुझे भरोसा दिया कि मुझे किसी अन्य संवैधानिक पद पर भेजा जाएगा।'
राजखोआ मई 2015 में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बने थे और राज्य की राजनीतिक स्थिति में अपनी भूमिका को लेकर वह विवादों में रहे हैं। राजखोआ ने कहा था, 'काम करने का एक तरीका होता है। राज्यपाल का पद संवैधानिक है। जब मैं स्वस्थ हूं तो स्वास्थ्य कारणों के आधार पर इस्तीफा क्यों दूं? हर व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी कोई न कोई समस्या होती है। ऐसे गवर्नर भी रहे हैं, जो छह महीने से ज्यादा समय तक देश से बाहर रहे।'