जांच के लिए जल्द ही आरोपियों की आवाज के नमूने भी लिए जाएंगे। पुलिस ने तीनों आरोपियों की पहचान के लिए पीड़ित परिवार को बुलाया। इसी दौरान आईजी साहब ने शिकायतकर्ता और पीड़ित का नाम भी उजागर कर दिया। जबकि नियमानुसार ऐसे मामलों में पीड़ित या शिकायतकर्ता का नाम उजागर नहीं किया जाता है। इस बात को लेकर पुलिस एक बार फिर घिरती नजर आ रही है।
नियम है कि बलात्कार के मामले मेें पीड़ित महिला और उसके परिवार की पहचान ना बताई जाए। ये सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। मेरठ के आईजी ने बुलंदशहर बलात्कार कांड का खुलासा करते हुए ना केवल पीड़ित परिवार के लोगों का नाम लिया, एक को तो भरी पत्रकार वार्ता में भी बिठा लिया। पाण्डेय फिर उसे न्यायसंगत भी कह रहे थे। उल्लेखनीय है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 228 ए में इसका साफ उल्लेख किया गया है। इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय का 2013 का एक फैसला तो ख़ास तौर पर पुलिस वालों के लिए ही आया था।
इधर इस मामले के खुलासे के लिए पुलिस ने 18 टीम बनाई थीं। आरोपियों की धरपकड़ के लिए 28 लोकेशन चिन्हित की गई थीं। वहीं यूपी पुलिस ने ऐसी घटनाओं पर लगाम कसने के लिए प्रदेश के 10 हाईवे चिन्हित किए हैं, जिनमें तीन हाई-वे मेरठ जोन में आते हैं। जिन पर अलग से पुलिस बल तैनाती के साथ ही पेट्रोलिंग बढ़ाई जाएगी।
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पीड़ित परिवार का गुस्सा एक बार फिर भड़क उठा। उन्होंने पुलिस से मांग की है कि आरोपियों को उनके हवाले किया जाए, जिससे वो खुद उन्हें सजा दे सकें। जाहिर है बुलंदशहर गैंगरेप केस के आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद कई और राज्यों में हुई घटनाओं का खुलासा भी हो सकता है।