आंकड़ों के मुताबिक भारतीय रेलवे को छह महीने के भीतर 4000 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ है। जिससे मंत्रालय के अफसर खासे परेशान हैं।
रेल मंत्रालय के अधिकारियों को पीएम मोदी का चाबुक चलने का डर सता रहा है। सूत्रों के अनुसार अनुमान है कि इस भारी घाटे की भरपाई के लिए रेलवे पैसेंजर किराये के सिस्टम में फेरबदल कर सकता है। यह घाटा तब हो रहा है जबकि कुछ खास ट्रेनों में सर्ज प्राइजिंग सिस्टम लागू है। इसके लागू होने के बाद से भी आय में कमी जारी है। यह नुकसान एक अप्रैल से 10 अक्टूबर के बीच का है।
पिछले वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से 10 अक्टूबर के बीच भारतीय रेलवे की कुल आमदनी 84 हजार 747 करोड़ रुपये रही। मगर इस साल इसी अवधि में आय कम हो कर 80 हजार 893 करोड़ रह गई। मतलब महज छह महीने में रेलवे को तकरीबन 3853 करोड़ की चपत लगी। खास बात है कि एक अक्टूबर से दस अक्टूबर के बीच महज दस दिन में ही सवा दो करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
इसी वर्ष से भारतीय रेलवे ने कर्मचारियों को नए वेतनमान की घोषणा की है। ऐसे में जिस तरह से सात महीने के भीतर चार हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, उससे मंत्रालय के अधिकारियों का परेशान होना स्वाभाविक है।