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दाल-सब्‍जी-तेल को छोड़ो, मोदी के राज में शिक्षा भी हो गई महंगी

देश में पिछले दो सालों में खाने पीने की चीजों के दामों में बेेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। लोग इसका रोना भी रो रहे हैं। लेकिन रोजमर्रा के उपयोग की इन वस्‍तुओं के दामों में कोई कमी नहीं आई। इन सबके बीच शिक्षा पर भी महंगाई की मार पड़ी है। पिछले दो सालोंं में स्‍कूलों की फीस और शिक्षण सामग्री भी महंगी हुई है।
दाल-सब्‍जी-तेल को छोड़ो, मोदी के राज में शिक्षा भी हो गई महंगी

प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के छात्रों के लिए पेन-पेंसिल और कॉपी एक बुनियादी जरूरत है। इनके दामों में पिछले दो साल में काफी बढ़ोतरी हुई है। स्टेशनरी व कॉपियों के बढ़े दाम लोगों को ज्यादा न लगें, इसलिए कई कंपनियों ने दाम बढ़ाने के बजाए अपने सामान की गुणवत्ता में ही गिरावट कर दी। वहीं कॉपी, रजिस्टर बनाने वाली कुछ कंपनियों ने कागजों की संख्या में कटौती कर दी।

हिंदी दैनिक जनसत्‍ता के अनुसार ऐसी महंगाई के बाद छात्र-छात्राओं ने भी कॉपियों व रजिस्टरों की खरीदारी में कटौती करनी शुरू कर दी है।  दो साल पहले 96 पेज की कॉपी 10 रुपए में आ जाती थी। अब इसकी कीमत तो नहीं बढ़ी, लेकिन पेज 96 से 60 हो गए हैं। इसी तरह से 196 पेज की जो कॉपी 20 रुपए की आती थी, उसके भी पेजों की संख्या कम होकर 144 रह गई है। 250 पेज की कॉपी जो 30 रुपए में आती थी, उसके पेजों की संख्या 196 पेज रह गई है।

40 रुपए वाली 300 पेज की कॉपी के पेज घटकर 240 रह गए हैं। रजिस्टरों के दामों में भी पिछले एक साल में बढ़ोतरी हुई है। 96 पेज का जो रजिस्टर 25 रुपए में आता था, वह अब 30 रुपए में आ रहा है। 144 पेज का रजिस्टर 40 रुपए से बढ़कर 45 रुपए का हो गया है। 196 पेज का रजिस्टर 55 रुपए से बढ़कर 60 रुपए में मिल रहा है।

लिखने-पढ़ने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले पेनों की कीमत में भी उछाल आया है। सेलो के 10 रुपए वाले पेन की कीमत 15 रुपए हो गई है। रेनॉल्ड पाईमैक्स के पेन की कीमत 30 रुपए से बढ़कर 45 रुपए हो गई है। इसी तरह से पायलेट पेन की कीमत 30 रुपए से बढ़कर 40 रुपए हो गई है। पेंसिल की बात करें तो नटराज, फाइबर कैसलो और कैमल की कीमत 30 रुपए से बढ़कर 50 रुपए पहुंच गई है। यह कीमत 10 पेंसिलों के सेट की है। फेविस्टिक के दामों में भी काफी उछाल आया है। एक फेविस्टिक की कीमत 35 से बढ़कर 50 रुपए हो गई है।

ज्योमेट्री बॉक्स की कीमतों में तो उछाल हुआ ही है, लेकिन उसमें रखे सामान की गुणवत्ता भी खराब हुई है। बाजार में नवनीत और कैमल का जो ज्योमेट्री बॉक्स 90 रुपए में आता था, उसकी कीमत अब 125 रुपए से लेकर 140 रुपए हो गई है। इंक और मार्कर जो करीब एक साल पहले 25 रुपए में आ जाता था, उसकी कीमत अब 35 रुपए हो गई है। पढ़ाई में चार्ट का भी काफी इस्तेमाल होता है। इसकी कीमत भी एक साल में दो गुना बढ़ी है। जो चार्ट पहले 5 रुपए में आता था, वही अब 10 रुपए में आ रहा है। पहले 15 रुपए में वाटर कलर का जो सात का सेट आता था, वो अब पांच का सेट हो गया है।

मीडिया में छपी खबराें के अनुसार स्‍कूलों की फीस भी अभिभावकों को परेशान कर रही है। दो साल पहले किसी अच्‍छे निजी स्‍कूल की पहली कक्षा की फीस 2000 रुपए हुआ करती थी वही अब यह फीस 3 से 4 हजार के बीच हो गई है। इसी तरह अन्‍य कक्षाओं की फीस में भी बढ़ोतरी हुई है।  

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