इस मामले को लेकर केन्द्र और बंगाल सरकार में ठनने के संकेत हैं। कोलकाता पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा ने उनके खिलाफ हवाला लेनदेन के मामले में जांच शुरू कर दी है। दूसरी और, केन्द्रीय जहाजरानी परिवहन मंत्रालय ने कोलकाता पुलिस से विस्तृत जानकारी मांगी है और पूछा है कि बगैर मंत्रालय को जानकारी दिए, कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी को कैसे गिरफ्तार किया गया। वरिष्ठ आईएएस अफसर कहलों को कोलकाता पुलिस की एसटीएफ ने गुरुवार को 20 लाख रुपए घूस लेते पकड़ लिया था। कोलकाता के न्यू मार्केट इलाके के एक पांच सितारा होटल में घूस की रकम देते हुए कहलों के साथ मुंबई की एक निजी कंपनी भारत कैलकाटा कंटेनर्स टर्मिनल लिमिटेड के निदेशक डीडी जगताप दत्ताजी को भी गिरफ्तार किया गया है। 1984 बैच के आईएएस अफसर कहलों 2012 से कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। इससे पहले वे बंगाल सरकार में मछली पालन और पर्यावरण मंत्रालय में सचिव थे।
अपने कार्यकाल में उन्होंने छोटे-बड़े कुल मिलाकर लगभग 15 हजार करोड़ रुपए के टेंडर बांटे हैं। एसटीएफ के अधिकारियों का दावा है कि हर टेंडर में उन्होंने दहाई अंक में कमीशन लेने की बात स्वीकार की है। घूस में ली गई करोड़ों रुपए की रकम उन्होंने हवाला चैनल के जरिए ऑस्ट्रेलिया अपने नजदीकी रिश्तेदार के यहां भेज दी। यह रकम 15 सौ से 18 सौ करोड़ रुपए के बीच बताई जा रही है। दूसरी और, अदालत में पेशी के दौरान कहलों ने समूचे प्रकरण को उद्योगपति और कोलकाता के फिल्म निर्माता श्रीकांत मोहता की साजिश बताया है। कहलों के वकील अमित भट्टाचार्य के अनुसार, कोलकाता के पी-51 हाइड रोड की जमीन उनके कब्जे से मुक्त कराने के एवज में फंसाया गया है।
श्रीकांत मोहता की कंपनी व्यंकटेश फिल्म्स ने उस जमीन पर पांच स्टूडियो बनवा लिए थे। हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद उस जमीन को खाली कराने में कोलकाता पुलिस ने ढिलाई बरती थी। बाद में अदालत के अधिकारियों की मौजूदगी में वह जमीन छुड़ाई जा सकी थी। इस प्रकरण पर श्रीकांत मोहता ने कहा, आरोप निराधार हैं। मैं अपने वकील से बात कर रहा हूं।
उधर, जहाजरानी मंत्रालय के सचिव राजीव कुमार ने इस मामले में राज्य सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है। कोलकाता पोर्ट के एक अधिकारी के अनुसार, मंत्रालय को अंधेरे में रखकर गिफ्तार क्यों की गई, इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। कहलों के वकील अमित भट्टाचार्य का दावा है कि रुपए का जो बैक जिस वाहन से मिला है, वह कोलकाता पोर्ट के चेयरमैन की नहीं है।