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मौत की कितनी परतें

पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के एक साल बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने यह खुलासा किया कि सुनंदा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उनकी हत्या हुई।
मौत की कितनी परतें

पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के एक साल बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने यह खुलासा किया कि सुनंदा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उनकी हत्या हुई। इस खुलासे के बाद से कई तरह के सवाल उठने लगे कि आखिर सुनंदा की हत्या किसने की। शक की सुई कई तरफ घूम रही है जिनमें कई बड़े लोगों का नाम शामिल है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जांच में कई ऐसे तथ्य मिले हैं जिसके आधार आरोपी तक पहुंचना आसान होगा। इस मामले में थरूर के निजी सहायक, नौकर, ड्राइवर सहित कई अन्य लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और कईयों से किए जाने की तैयारी है। सूत्रों की मानें तो थरूर से भी पुलिस पूछताछ कर सकती है। हालांकि थरूर ने स्वयं बयान देकर कहा है कि वह पुलिस की जांच में हर तरह का सहयोग देने को तैयार हैं। थरूर का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि सुनंदा की मौत में कोई साजिश है। जबकि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि शशि थरूर अपनी पत्नी के हत्यारे को जानते हैं। स्वामी ने कहा कि थरुर झूठ बोलकर इस मामले से बचकर निकलना चाहते हैं। स्वामी के मुताबिक जब सुनंदा की हत्या हुई थी उस समय थरूर सत्ता में थे और मामले को रफा-दफा करवाने की कोशिश की। स्वामी के इन आरोपों पर भी जांच टीम की निगाहें टिकी हुई हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अभी तक जो बातें सामने आई हैं उसमें कहीं न कहीं शक की सुई शशि थरूर की ओर घूम रही है। लेकिन कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। पुलिस का कहना है कि सुनंदा और शशि थरूर में रिश्ते सामान्य नहीं थे इस बात की पुष्टि हो रही है। इस मामले में पत्रकार नलिनी सिंह ने भी एसडीएम को दिए बयान में बताया कि सुनंदा अपने पति शशि थरूर और पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार की नजदीकियों की वजह से परेशान थी। मौत से एक दिन पहले सुनंदा ने उन्हें फोन किया था। नलिनी सिंह ने बताया कि सुनंदा ने मौत से एक रात पहले बताया था कि इस बात का पूरा यकीन है कि जून 2013 में शशि और मेहर ने दुबई में तीन रातें एक साथ बिताई। सुनंदा को यह डर सताने लगा था कि कहीं थरूर तलाक न दें दे। नलिनी सिंह ने आईपीएल के संदर्भ में कुछ जानकारी दी लेकिन वह पूरी बात समझ नहीं सकी। जांच के दौरान सुनील साहब के होटल लीला में सुनंदा के कमरे में होने की बात कही गई, उनकी पहचान कर ली गई है। पुलिस ने सुनील साहब की पहचान सुनील ट्राकरू के तौर पर की है, जो सुनंदा के पारिवारिक मित्र हैं। पुलिस का कहना है कि सुनील से पूछताछ के बाद एक बार फिर इस केस में आईपीएल कनेक्शन सामने आया है। जांच कई दृष्टिकोण से की जा रही है और जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता। दिल्ली के सरोजनी नगर थाने में आईपीसी की धारा 302 के तहत अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया। अभी तक की जांच में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि सुनंदा पुष्कर की मौत जहर से हुई थी। सुनंदा को जहर खिलाया गया था या फिर उन्हें इंजेक्शन लगाया गया था। इसकी जांच के लिए सुनंदा के विसरा की टेस्टिंग विदेश में करवाई जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि सुनंदा के शरीर पर चोट के 15 निशान थे।
पुलिस मामले की जांच कई बिन्दुओं से कर रही है। जिसमें हत्या वाले दिन (17 जनवरी, 2014) को दुबई और पाकिस्तान से दिल्ली से आने-जाने वाले यात्रियों की सूची को खंगाला जा रहा है साथ ही होटल लीला के वीडियो फूटेज से पता लगाया जा रहा है कि हत्या से एक दिन पहले कौन-कौन लोग होटल में आए थे। गौरतलब है कि पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार से संबंधों को लेकर शशि थरूर चर्चा के केंद्र में आए और उनके ट्वीट्ïर अकांउट को लेकर सुनंदा पुष्कर से मतभेद शुरू हुआ। मृत पाए जाने से एक दिन पहले सुनंदा और शशि थरूर ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि उनके ट्ïवीटर अकांउट से हुए अनाधिकृत ट्ïवीट्ïस पर हुए हंगामे से वे तनाव में हैं। उन्होने यह भी कहा था कि वे शादी से खुश हैं और आगे भी इसी तरह रहना चाहते हैं। सुनंदा की जिस दिन संदिज्ध मौत हुई थी उस दिन कांग्रेस का तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय अधिवेशन चल रहा था और थरूर वहां मौजूद थे।   
घटना के एक साल बाद सक्रिय हुई पुलिस जिस तरह से तेजी से मामले की जांच कर रही है उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एक साल बाद सुनंदा के विसरा की जांच से क्या निकलेगा। फोरेंसिक विशेषज्ञों के मुताबिक अब बहुत देर हो चुकी है जांच में शायद ही कुछ निकले। दरअसल एम्स ने अपनी रिपोर्ट में जिन छह तरह के जहरों का हवाला देकर कहा था कि उनकी जांच भारत में नहीं हो सकती, उनमें मेटालिक रेडियोएक्टिव जहर थैलियम और पोलोनियम भी हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि सालभर बाद दुनिया के किसी भी लैब में ज़हर की पहचान नामुमकिन है। फोरेंसिक विशेषज्ञ के एल शर्मा का कहना है कि अगर डॉक्टरों को यह शक है कि किसी के शरीर में मेटालिक रेडियोएक्टिव जहर हो सकता है तो पोस्टमार्टम के समय ही शरीर के एक्सरे के जरिए इसकी पहचान हो सकती है, लेकिन विसरा सैंपल लेने के बाद इस तरह का जहर धीरे धीरे सैंपल से खत्म हो जाता है और फिर दुनिया की कोई भी फोरेंसिक लैब इसकी जांच नहीं कर सकती। विशेषज्ञों के मुताबिक, दुनिया के अहम जहरों में कोरोसिव, मेटालिक, सोमनीफेरस, वेजिटेबल और वेनम हैं। कई बार अलग-अलग दवाएं खा लेने से भी जहर बन जाता है।  थैलियम और पोलोनियम की जांच पोस्टमार्टम के वक्त एक्स-रे से हो सकती है।

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