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एमएमबीएस के छात्रों के लिए प्रस्‍तावित एग्जिट एक्‍जाम का आईएमए ने विरोध किया

एमएमबीएस के छात्रों के लिए प्रस्‍तावित एग्जिट एक्‍जाम का आईएमए ने विरोध किया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि ऐसे कदम एमबीबीएस एक्‍जाम के स्‍कोप को कम करेगा। एसोसिएशन के अनुसार छात्र अभी अंतिम वर्ष में एमबीबीएस का फायनल एक्‍जाम दे रहा है। एग्जिट एक्‍जाम लेने से यह संदेश जाएगा कि अभी तक की एमबीबीएस की डिग्री वैध नहीं है।
एमएमबीएस के छात्रों के लिए प्रस्‍तावित एग्जिट एक्‍जाम का आईएमए ने विरोध किया

उल्‍लेखनीय है कि मेडिकल के छात्र को क्‍या पढ़ाना है और उसे कैसे प्रमाणित करना है, इन सबके मानदंड मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया करता है। सरकार इस पर किसी तरह सक्रिय नहीं है। एसोसिएशन पीसी पीएनडीटी एक्‍ट के तहत 6 माह के ट्रेनिंग एक्‍जाम का भी विरोध कर रहा है।

इसके अलावा हर पांच साल में एक्‍जाम या सीएमई क्रेडिट हॉवर के तहत होने वाले पंजीयन का भी विरोध किया जा रहा है। एसोसिएशन के अनुसार देश में वर्तमान में 4 लाख डॉक्‍टरों तथा 10 लाख नर्सों की कमी है। ऐसे सारे कदम एमबीबीएस के छात्रों को हतोत्‍साहित करेंगे।

एसोसिएशन की राय है कि एग्जिट एक्‍जाम की बजाए एक फायनल ईयर का एक्‍जाम ले सकते हैं, जो नीट के समकक्ष हो, जिसके बाद मेडिकल स्‍नातक को प्रमाणित किया जा सके, इसके अलावा उसे पोस्‍टग्रेजुएट के लिए चयनित भी किया जा सके। एसोसिएशन के अनुसार 5 साल के पंजीयन को मेडिकल कौंसिल के आंकड़ों को नवीन करने के लिए उचित कदम कहा जा सकता है। पर इसे ट्रेनिंग एक्‍जाम से जोड़ना गलत है।

एसोसिएशन कहता है अब तो मेडिकल कौंसिल के पास मर चुके डॉकटरों का भी आंकड़ा है। ऐसे में आंकड़ों को नवीन करने के लिए कोई और प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।

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