अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हथियारबंद ड्रोन का इस्तेमाल करता रहा है अमेरिका। भारत सरकार ने इस तकनीक को हासिल करने के लिए अच्छी-खासी उम्मीद बना रखी है। डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए इस बारे में अमेरिका से बात होती रही है। फ्रांस और अमेरिका के समर्थन से `मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम` (एमटीसीआर) की सदस्यता मिलने के बाद भारत ने इस दिशा में प्रयास तेज कर दिए।
मनोहर पर्रीकर के अमेरिका दौरे में `लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट` पर दस्तखत किए जाने हैं। इस बारे में एश्टन कार्टर के अप्रैल में भारत दौरे के दौरान घोषणा की गई थी। अमेरिका भी इस बात पर जोर दे रहा है कि अमेरिकी जेट कंपनियों को मेक इन इंडिया के तहत भारत में उत्पादन करने की इजाजत दी जाए। मनोहर पर्रीकर और एश्टन कार्टर के बीच अब तक छह मुलाकातें हो चुकी हैं।
अपने दौरे में पर्रीकर कश्मीर और पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी समूहों की गतिविधियों के बारे में अमेरिका के साथ अपनी राय साझा करेंगे। अफगानिस्तान में तालिबान और आईएसआईएस की गतिविधियों के बारे में भी बात उठने की संभावना है। पर्रीकर की अमेरिका में बैठकों में अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट जॉन केरी और कॉमर्स सेक्रेटरी पेनी प्रित्जकर भी हिस्सा लेंगे। बीते हफ्ते केरी चौथी बार भारत के दौरे पर आए थे। वे बांग्लादेश होते हुए अमेरिका लौट रहे हैं।
पर्रीकर को अमेरिका के पेंटागन में साइबर कमांड, और एंड्यूज एयर फोर्स बेस एवं लांग्ले एयर फोर्स बेस का भी दौरा करना है। 31 अगस्त को वे फिलाडेल्फिया में बोइंग का दौरा करेंगे, जहां सीएच-47 एफ चिनुक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर्स का निर्माण किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना इन हेलीकॉप्टरों को 2019 तक अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रही है। ये हेलीकॉप्टर वायु सेना में एमआई-26 का विकल्प माने जा रहा हैं।