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यूपीए शासन में हुआ एंबरियर जेट खरीदी समझौता जांच के घेरे में

सप्रंग सरकार के कार्यकाल में हुआ 20.8 करोड़ डॉलर का एंबरियर जेट समझौता अमेरिकी अधिकारियों की जांच के घेरे में है। अधिकारियों को संदेह है कि अनुबंध हासिल करने के लिए कंपनी की ओर से घूस दी गई थी। यह समझौता साल 2008 में एईडब्ल्यू एंड सी विमानों के लिए किया गया था। आरंभिक चेतावनी तथा नियंत्रण प्रणाली के लिए स्वेदशी रडार से लैस तीन विमानों के लिए ब्राजील के विमान निर्माता एंबरियर और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के बीच हुआ था।
यूपीए शासन में हुआ एंबरियर जेट खरीदी समझौता जांच के घेरे में

इन तीन विमानों को स्वदेशी राडारों से लैस किया गया है, जिन्हें डीआरडीओ की 2,520 करोड़ रुपये की (एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग ऐंड कंट्रोल सिस्टम्स) महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत तैयार किया गया है। ब्राजीली कंपनी एम्ब्रायर ने पहला   एयरक्राफ्ट 2011 में डीआरडीओ को सौंपा था। इसके बाद अन्य विमानों को सौंपा गया। अमेरिका का न्याय विभाग साल 2010 से इस कंपनी की जांच कर रहा है। तब डोमिनिकन गणराज्य के साथ कंपनी के अनुबंध ने अमेरिका के संदेह को बढ़ा दिया था। ब्राजील के अखबार फोल्हा दे साओ पाउलो के मुताबिक, अमेरिकी सरकार ने इस बारे में जांच शुरू की है कि एंबरियर ने विदेशों से अनुबंध हासिल करने के लिए रिश्वत दी थी या नहीं। इस जांच के कारण ब्राजील की इस कंपनी ने सउदी अरब और भारत के साथ जो समझौते किए हैं, वह प्रभावित हुए हैं।

संदेह है कि ब्रिटेन में रहने वाले एक प्रमुख भारतीय बिचौलिए ने इस समझौते में अहम भूमिका निभाई है। भारत के रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी अधिकारियों ने डीआरडीओ को अभी तक जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। एईडब्ल्यू एंड एस कार्यक्रम को संभाल चुके डीआरडीओ के प्रमुख एस क्रिस्टोफर ने इस मसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उसके बाद जांच का और विस्तार कर दिया गया तथा आठ और देशों के साथ कंपनी के व्यावसायिक लेने-देने की जांच की जा रही है।

अखबार के मुताबिक एंबरियर जांचकर्ताओं के साथ सहयोग कर रही है। कंपनी ने जुलाई माह में घोषणा की थी कि अमेरिकी अधिकारियों के साथ वह जल्द ही किसी समझौते पर पहुंचने वाली है। कंपनी ने 20 करोड़ डॉलर अलग रखे हैं, जिन्हें किसी भी संभावित जुर्माने के तौर पर अदा किया जा सकेगा। अखबार के मुताबिक, कंपनी की ओर से जांच के बारे में कोई भी जानकारी जारी नहीं की गई है। लेकिन इस मामले को देख रहे तीन लोगों ने अखबार फोल्हा को पुष्टि की है कि सउदी अरब तथा भारत में कंपनी द्वारा किए गए समझौतों की जांच की जा रही है।

दोनों ही मामलों में संदेह इस साल मई में हुआ, जब बीते 30 साल से कंपनी में काम कर रहे एक कर्मचारी ने ब्राजील के संघीय जांच कार्यालय द्वारा की जा रही जांच के दौरान सूचना मुहैया कराने के बदले सजा कम करने पर सौदेबाजी कर ली थी। रक्षा क्षेत्रा में मैनेजर एल्बर्ट फिलिप क्लोज ने जांचकर्ता मारसेलो मिलर को बताया कि उन्होंने यूरोप में काम करने वाले एक पूर्व सेल्स निदेशक को अमेरिकी जांचकर्ताओं के सामने यह स्वीकार करते सुना था कि सउदी को विमान बेचने के लिए घूस दी गई है।

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