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हर्षमंदर की नजर में मोदी के राज में काम कम, बखान ज्यादा हुआ

सामाजिक कार्यकर्ता हर्षमंदर की नजर में पीएम नरेंद्र मोदी के दो साल के शासन में देश में काम कम और उसका बखान ज्‍यादा हुआ है। आईएएस अधिकारी रहे हर्षमंदर ने कहा कि आज के भारत में दो साल पहले के मुकाबले विषमताएं ज्‍यादा बढ़ी हैं। आर्थिक और सामाजिक अलगाव का यहां अब बोलबाला है।
हर्षमंदर की नजर में मोदी के राज में काम कम, बखान ज्यादा हुआ

हर्षमंदर लेखक भी हैं तथा सामाजिक हिंसा और भूख जैसे संवेदनशील मुद़दों पर काफी कार्य किया है। देश के समानता अध्‍ययन केंद्र के निदेशक हर्षमंदर सुप्रीम कोर्ट में खाद़य मामलों के विशेष आयुक्‍त हैं। एक अंग्रेजी वेबसाइट को दिए साक्षात्‍कार में उन्‍होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान जो भी वादे किए उन पर जमीनी ढंग से जो कार्य होना था, वो नहीं हो पाया है। थोड़े से वास्‍तविक सुधारों से देश के आम आदमी का भला नहीं होने वाला।

उनके अनुसार आज का आदमी अपने भविष्‍य को लेकर ज्‍यादा बेचैन है। उसे काम की तलाश है। देश का एक तिहाई भाग सूखे की चपेट में है। पीने को पानी नहीं है। ऐसा किसानों के लिए निवेश नहीं करने की वजह से हुआ। मिट़टी को विषैली बना दिया गया और ग्राउंड वाटर का ख्‍याल नहीं रखा गया। किसान को सूखे से निपटने में मदद देना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। मोदी सरकार इसमें कामयाब नहीं रही। किसानों की खुदकुशी जारी है। मोदी ने गुजरात के विकास का हवाला देते हुए युवाओं को रोजगार दिलाने का अपने प्रचार में वादा किया था। लेकिन उन्‍हें इसमें कोई ज्‍यादा सफलता नहीं मिली। सार्वजनिक कंपनी या निजी उपक्रम सभी जगह आज रोजगार की कमी है। साउथ ब्‍लाक और नीति आयोग हालांकि इससे इनकार करेंगे लेकिन स्थिति वास्‍तव में बहुत भयावह है।

विकास दर अधिक होने और प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश अधिक होने भर से ही रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो जाते हैं। रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी के लिए खेतों और ग्रामीण संरचना में अधिक से अधिक निवेश होना चाहिए। उनके अनुसार छोटे और लघु तथा मध्‍यम उद़योगों की ओर निवेश होना चाहिए। सूट बूट की मोदी सरकार को किसानों और युवाओं का ख्‍याल अधिक रखना चाहिए। 2016 के बजट को किसानों का बताया गया था। लेकिन इसके परिणाम अभी तक किसानों के लिए अधिक हितकारी नहीं हुए हैं। सरकार को हिंदुत्‍व के सपने से बाहर आते हुए देश के सामाजिक ढांचे को और मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए।

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