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सामने आया शीना का असली पिता, डीएनए टेस्‍ट के लिए तैयार

शीना बोरा हत्‍याकांड में एक नया खुलासा हुआ है। शीना के पिता सिद्धार्थ मुखर्जी पहली बार मीडिया के सामने आए हैं। उन्‍होंने दावा किया है कि शीना और मिखाइल उन्‍हीं के बच्‍चे हैं। हालांकि, इंद्राणी से उनकी कभी शादी नहीं हुई और दोनों बच्‍चे शादी के बिना ही पैदा हुए थे। दास का कहना है शीना हत्‍याकांड से पर्दा उठाने के लिए वह पुलिस जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं।
सामने आया शीना का असली पिता, डीएनए टेस्‍ट के लिए तैयार

सिद्धार्थ दास ने बताया है कि इंद्राणी सिर्फ तीन साल सन 1989 तक उनके साथ रही। उस समय उनके पास अच्‍छी नौकरी नहीं थी और इंद्राणी बहुत महत्‍वाकांक्षी महिला थी, इसलिए उन्‍होंने अलग होने का फैसला किया। यह पूछे जाने पर कि क्‍या इंद्राणी शीना का मर्डर कर सकती है, सिद्धार्थ दास ने माना है कि यह मुमकिन है, इंद्राणी एक मनी माइंडेड थी। उन्‍हें शीना के लिए बहुत दुख है। अगर इंद्राणी ने उसकी हत्‍या करवाई है तो उसे फांसी पर लटका देना चाहिए। आज शाम प्रेस कांफ्रेंस कर सिद्धार्थ इंद्राणी मुखर्जी और शीना हत्‍याकांड के बारे में कोई बड़ा खुलासा भी कर सकते हैं।  

डीएनए सैंपल देने को तैयार 

खुद को शीना बोरा का बाप बताने वाले सिद्धार्थ दास ने कहा है कि अगर जांच में जरुरत पड़ी तो वह अपना डीएनए सैंपल देने को तैयार है। उधर, रायगढ़ से बरामद शीना के कथित कंकाल अवशेषों को मुंबई की फोरेंसिक लैब भेज दिया गया है। सिद्धार्थ दास का कहना है कि पिछले 25 साल में उसका इंद्राणी से सिर्फ एक-दो बार ही संपर्क हुआ। शीना से भी उनकी लंबे समय से बात नहीं हुई थी। उसे शीना की हत्‍या के बारे में अखबारों से ही पता चला है। शीना से आखिरी बार उनकीबात तब हुई जब वह कक्षा 10 में पढ़ती थी। 

तीन साल ही साथ रहे सिद्धार्थ और इंद्राणी 

सिद्धार्थ दास ने बताया कि सन 1986 में कॉलेज के दिनों में उनकी इंद्राणी से पहली बार मुलाकात हुई। इसके बाद वह तीन साल तक साथ रहे और इसी दौरान मिखाइल और शीना का जन्‍म हुआ। उन्‍होंने कभी औपचारिक तौर पर विवाह नहीं किया। वह दोनों इंद्राणी के माता-पिता के घर पर रहते थे। लेकिन इंद्राणी चकाचौंध वाली और हाई सोसायटी की जिंदगी जीना चाहती थी। इसलिए 1989 में इंद्राणी उन्‍हें छोड़कर चली गई। दास का कहना है कि शायद इंद्राणी उनकी स्थिति से संतुष्‍ट नहीं थी क्‍यों उन दिनों उनके पास कोई नौकरी नहीं थी। अभी भी सिद्धार्थ कोई छोटी-मोटी नौकरी करते हैं और कोलकाता के दमदम इलाके के दुर्गानगर में फिलहाल किराए के मकान में रहते हैं। 

 

 

 

 

 

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