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जन्‍मदिन : पीएम मोदी को विशेेष रणनीति अपनानी होगी, तभी आगे होंगे सफल

पीएम नरेंद्र मोदी की कुंडली में चंद्रमा की महादशा सितंबर 2011 से 31 अगस्‍त 2021 तक चलेगी। इस दौरान मोदी राज्‍य से केंद्र की राजनीति में लगातार तरक्‍की करते रहे और आगे भी करते रहेंगे। उनकी कुंडली में ग्रहों की दशा उन्‍हें निकट भविष्‍य में कोई बड़ी परेशानी में डालती नहीं दिख रही है।
जन्‍मदिन : पीएम मोदी को विशेेष रणनीति अपनानी होगी, तभी आगे होंगे सफल

चंद्रमा की महादशा से उनका उत्‍तरोतर विकास हुआ है। और यह आगे भी होता रहेगा। ज‍ब तक चंद्रमा है, मोदी जी को कोई परेशानी नहीं होगी। ग्रहोंं की स्थिति यही संकेत दे रही है। लेकिन उनको अपनी योजनाओं को हर समय बदलना होगा।

उचित समय पर विशेष रणनीति अपनानी होगी। एक ही फार्मूले से वह अपना राज कायम नहीं कर पाएंगे। अगले साल राज्‍यों में विधानसभा चुनाव है। यहां उन्‍हें सतर्क रहते हुए विशेष रणनीति अपनानी होगी। तभी उनकी ध्‍वजा पताका लहराते रहेगी। पड़ोस में पाकिस्‍तान और चीन से सावधान रहना होगा। यहां भरोसा और भाईचारेे के साथ कुटिल रणनीति भी कायम रखनी होगी। इससे ही यह दोनों पड़ोसी नियंत्रित रहेंगे। पीएम मोदी जी को अपने स्‍वास्‍थ्‍य में भी थोड़ा ध्‍यान देना होगा। मां की तबियत पर विशेष ध्‍यान देना होगा।

पीएम मोदी का जन्‍म 17 सितंबर, 1950 को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर गुजरात के मेहसाण्‍ाा में हुआ था। उनके जन्‍म के समय वृश्चिक लग्‍न का पूर्वी गोलार्ध में विस्‍तार हो रहा था। ग्रहों की स्थिति इस प्रकार थी मंगल, चंद्रमा-वृश्चिक, गुरु-कुंभ, राहु-मीन, शुक्र, शनि-‍सिंह, सूर्य, बुध, केतु-कन्‍या। वर्ष 2016 की वर्ष कुंडली में लगन-तुला, मंगल, शनि- वृश्चिक, केतु-कुंभ, चंद्रमा-मंगल, बुध, राहु-सिंह, सूर्य, गुरु, शुक्र की स्थिति है। 

पीएम मोदी की युवावस्‍था में योगी बनने की मंशा थी। लेकिन उनके आध्‍यात्मिक गुरु स्‍वामी आत्‍मास्‍थानंद महाराज ने मठ में रहकर उनको शिष्‍य बनने की अनुमति नहीं दी। उनके भाग्‍य में कुछ और लिखा था। नतीजा आज सबके सामने है।

मोदी के जन्‍म के समय रुचक पंच महापुरुष राजयोग की स्थिति थी। इसी वजह से वह देश के प्रधानमंत्री बने। उनकी लगन में नीच भंंगा राज्‍ययोग भी है। जाे उन्‍हें तमाम विरोध के बाद भी जीत की ओर ले जाता है। कुंडली में गजकेसरी योग भी है। यह भी राजयोग में सहायक है।

गुरु और चंद्रमा का योग उनमे जबरदस्‍त पराक्रम, राज क्षमता, नए और आकर्षक विचार का भाव पैदा करता है। एकादश भाव में शनि के कारण देर से विद़या का योग बना लेकिन बाद में यही लाभकारी रहा। लग्‍न पर उच्‍च दृष्टि  के कारण निरोगी और आध्‍यात्मिक विचारधारा, दुखी लोगों के प्रति सेवा भाव, ये सभी गुण हैं।

 

 

 

 

 

 

 

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