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सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन से पूछा, क्‍यों न जमानत रद्द की जाए

जमानत पर रिहा हुए पूर्व राजद सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत मिली है। सोमवार को सर्वोच्‍च अदालत ने शहाबुद्दीन को हाई कोर्ट से मिली जमानत पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि वह याचिका पर राजद नेता का पक्ष भी जानना चाहती है। मामले की सुनवाई सोमवार 26 सितंबर को फिर होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन से पूछा, क्‍यों न जमानत रद्द की जाए

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना जमानत के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी जाए। बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि शहाबुद्दीन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाए। वह कोई सामान्य अपराधी नहीं है, उसे जेल से बाहर नहीं रखा जा सकता है।

बिहार में मारे गए तीन भाइयों के पिता चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदाबाबू ने याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। इसके बाद बिहार सरकार भी आननफानन में कोर्ट में पहुंच गई। शहाबुद्दीन को पिछले 7 सितंबर को पटना हाईकोर्ट ने जमानत दी थी।

गौरतलब है कि वर्ष 2004 में दो भाइयों गिरीश और सतीश की हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को दिसंबर 2015 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। मामले में इकलौते गवाह मृतकों के भाई राजीव रोशन की भी 16 जून 2014 को हत्या कर दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पटना हाईकोर्ट का जमानत देने का आदेश कानून का मखौल उड़ाना है, क्योंकि हत्या के केस में अभी तक गवाहों के बयान भी दर्ज नहीं हुए हैं।

हाईकोर्ट ने इस तथ्य को भी अनदेखा कर दिया कि शहाबुद्दीन पर 13 मई 2016 को सिवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या का भी आरोप है। इसके अलावा 18 मई 2016 को सिवान जेल में छापे के दौरान उसके पास से 40 मोबाइल भी बरामद हुए थे।

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