बिहार में राजनीतिक हलचल का दौर धीरे धीरे ही सही मगर काफी कुछ बयां करने लगा है।लोकसभा चुनाव, इंडिया गठबंधन और नीतीश कुमार को लेकर चर्चाएं राजनीतिक पटल पर काफी तेज हो गई हैं। इसी बीच राजभवन में एक सरकारी कार्यक्रम में सीएम नीतीश की उपस्थिति और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति सवालों को गहरा करने के लिए काफी है। इस कार्यक्रम में कुर्सी से उप-मुख्यमंत्री के नाम की पर्ची तक हटा दी गई हैं।
बता दें कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एक अणे मार्ग पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराया। इस अवसर पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के अलावा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव मौजूद रहे। मगर जब राजभवन में हाईटी का आयोजन किया है, तो उसमें जेडीयू के नेता मौजूद रहे और आरजेडी की तरफ से सिर्फ नए शिक्षा मंत्री आलोक मेहता शामिल हुए। वह भी बीच में वहां से निकल गए। रिपोर्ट्स का कहना है कि आरजेडी नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का कार्यक्रम में नहीं पहुंचना अंतर कलह को दर्शाता है।
जब पूछा गया कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव राजभवन में आधिकारिक कार्यक्रम में क्यों नहीं आए, तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार कहते हैं, "उनसे पूछें जो नहीं आए।" वहीं, बिहार के नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक विजय कुमार सिन्हा ने कहा, ''वह (तेजस्वी यादव) इस बारे में (कार्यक्रम में उनकी अनुपस्थिति) बताएंगे।" मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरजेडी ने विधायकों की बैठक बुला ली है। इधर, बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि राजनीति में कोई दरवाजा स्थायी रूप से बंद नहीं होता है। लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने भी शीर्ष नेताओं से मुलाकात की बात कही है।
बता दें कि ऐसी अटकलें हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर 2024 के बेहद महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदलने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ हाथ मिलाने की योजना बना रहे हैं। बिहार में 'महागठबंधन' के दो प्रमुख सहयोगियों के बीच तनाव समाजवादी आइकन कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न पुरस्कार मिलने पर दोनों दलों के बीच झड़प बढ़ गया। जहां नीतीश कुमार ने जेडीयू के सभी विधायकों को अपने आवास पर बुलाया है, वहीं लालू यादव खेमे ने बिहार विधानसभा में 122 के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए गणना शुरू कर दी है।