मालूम हो कि सीबीएसई की परीक्षा पहली मार्च से शुरू होती है और करीब 20 अप्रैल तक चलती हैं। नतीजे मई के तीसरे या चौथे हफ्ते में आते हैं लेकिन अब परीक्षा 15 फरवरी से कराने का फैसला लिया गया है और इन्हें एक महीने में पूरा कर लिया जाएगा। इससे नतीजे जल्दी घोषित किए जा सकेंगे।
सीबीएसई का मानना है कि नतीज जल्द घोषित करने से छात्रों को दाखिले में फायदा होगा क्योंकि नतीजे आने और अंडरग्रेजुएट के लिए दाखिले का वक्त करीब एक ही रहता है और इससे छात्र हडबड़ी में रहते हैं। इसके अलावा अप्रैल तक छुट्टियां हो जाती है और कापी जांचने के लिए अच्छे शिक्षक भी नहीं मिल पाते। इससे मार्च के बीच में कापियों के मूल्यांकन शुरु करने से तय है कि इन्हें जांचने में बेहतर शिक्षक नहीं मिलते।
अभी कापी जांचने का काम अप्रैल की छुट्टियों में होता और स्कूल अस्थायी, तदर्थ व नव नियुक्त शिक्षक ही दे पाते हैं। सही समय पर परीक्षा होने पर नतीजे बनाने के काम में कुछ राहत मिल सकेगी। सीबीएसई कापी जांचने में अच्छे शिक्षकों को लगाना चाहता है और उन्हें इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जाएगी जो दिसंबर में शुरू होंगे। मालूम हो कि हर साल देशभर के दो हजार सेंटर पर कापी जांचने के काम में करीब 50 हजार शिक्षक लगाए जाते हैं और इनमें ज्यादातर सेंटर केंद्रीय विद्यालय में होते हैं।