यह रपट के लिए 29 राज्य विधानसभाओं और दो संघशासित प्रदेशों के 620 में से 609 मंत्रियों और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 78 मंत्रियों द्वारा घोषित विवरणों के विश्लेषण पर आधारित है। दिल्ली की अनुसंधान संस्था एेसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स यानी एडीआर ने जारी अपनी इस रपट में कहा है , राज्यों की विधानसभाओं से 609 मंत्रियों के विश्लेषण में 462 यानी 76 प्रतिशत करोड़पति पाए गए हैं। एडीआर ने कहा है इनमें सबसे अधिक संपत्ति आंध्र प्रदेश में तेलगु देशम पाटी सरकार के मंत्री पोंगुरू नारायण हैं जिनके पास 496 करोड़ रूपए की परिसंपत्ति है। उसके बाद कर्नाटक में कांग्रेस मंत्री के डी के शिवकुमार आते हैं जिनके पास 251 करोड़ रूपए की परिसंपत्ति है।
रपट में कहा गया, 609 मंत्रियों में से 210 यानी 34 प्रतिशत मंत्रियों ने जानकारी दी है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 78 मंत्रियों में से 24 यानी 31 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों का खुलासा किया है। राज्य सरकारों के 113 मंत्रियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिलाओं के प्रति हिंसा समेत गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। रपट में कहा गया कि लोक-सभा और राज्य-सभा से केंद्र सरकार में मंत्री बनाए गए 78 सदस्यों में से 14 ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों का खुलासा किया है। जिन राज्यों के मंत्रियों के खिलाफ सबसे अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं उनमें झारखंड में नौ, दिल्ली में चार, तेलंगाना में नौ, महाराष्ट्र में 18, बिहार में 11 और उत्तराखंड में दो मंत्री शामिल हैं। एडीआर ने कहा कि राज्य की विधानसभाओं से मंत्री बनाए गए हर मंत्री के पास औसतन 8.59 करोड़ रूपए की सम्पत्ति है।
इसके मुकाबले केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 12.94 करोड़ रूपए है। राज्यों में आपराधिक मामलों का सामना करने वाले मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 9.52 करोड़ रूपए और किसी प्रकार के आपराधिक मामलों से मुक्त मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 8.10 करोड़ रूपए है। आंध्र प्रदेश में 20 मंत्रियों की औसत सम्पत्ति 45.49 करोड़ रूपए है। उसके बाद कर्नाटक में 31 मंत्री की औसत सम्पत्ति 36.96 करोड़ रूपए और अरूणाचल प्रदेश के कुल सात मंत्री की औसत सम्पत्ति 32.62 करोड़ रूपए है। उक्त 609 मंत्रियों में से 51 महिलाएं हैं और सबसे अधिक महिला मंत्री मध्य प्रदेश से हैं जिसके बाद तमिलनाडु का स्थान है।