दाल की आसमान छूती कीमतों के बीच कैबिनेट सचिव ने उपभोक्ता मामलों, कृषि, वाणिज्य और अन्य मंत्रालयों के सचिवों के साथ बैठक में कीमत, उत्पादन, खरीद और उपलब्धता से संबद्ध विभिन्न कारकों पर आज चर्चा की। बैठक में दालों की जमाखोरी रोकने के लिए राज्य सरकारों द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा के साथ दिल्ली तथा अन्य राज्यों में सब्सिडी दरों पर आयातित दाल बेचे जाने की प्रगति के बारे में चर्चा की गई।
बैठक के बाद उपभोक्ता मामलों के सचिव सी विश्वनाथ ने कहा, हमने राज्य सरकारों को और कड़ाई से अनिवार्य वस्तु अधिनियम लागू करने का निर्देश दिया था। इसके परिणामस्वरूप कुछ राज्यों ने जगह जगह आकस्मिक निरीक्षण कर भारी मात्रा में दालें बरामद की हैं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार पिछले कुछ महीनों में पांच राज्यों में 5,800 टन दाल जब्त की गई हैं। इनमें से 2,546 टन तेलंगाना, 2,295 टन मध्य प्रदेश, 600 टन आंध्र प्रदेश, 360 टन कर्नाटक तथा एक टन दाल महाराष्ट्र में जब्त की गई। एक आधिकारिक बयान के अनुसार राजस्थान सरकार ने भंडार सीमा लागू करने के लिये काम शुरू कर दिया है। इसी प्रकार की कार्रवाई अन्य राज्य भी कर रहे हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा, कर्नाटक के मैसूर और गुलबर्गा जैसे जगहों तथा तमिलनाडु में भी छापे मारे गए। इन कदमांे का परिणाम दिखने लगा है।
इस बीच, सरकार के प्रयासों के बावजूद तुअर कीमत खुदरा बाजार में 210 रुपये किलो पर पहुंच गया। वहीं उड़द दाल 198 रुपये किलो, मूंग 135 रपये किलो, मसूर 120 रुपये किलो तथा चना दालें 84 रुपये किलो पर बिक रही हैं। फसल वर्ष 2014-15 में उत्पादन में कमी के कारण दालों की कीमतें चढ़ी हैं। बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिये केंद्र ने कई उपाय किए हैं। इसमें 40,000 टन का बफर स्टाक तैयार करना, सस्ती दरों पर आयातित दालों की बिक्री और कारोबारियों के साथ बड़ी दुकानों, लाइसेंस प्राप्त खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं, आयातकों तथा निर्यातकों पर भी भंडार सीमा लगायी गयी हैं। आधिकारिक बयान के अनुसार इन सभी उपायों से आपूर्ति की स्थिति में सुधार तथा बाजार में दाल की आवक बढ़ेगी और कीमतें नीचे आएंगी।
जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई के अलावा राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार के निदर्ेश पर दाल आयातकों, निर्यातकों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं तथा बड़े डिमार्टमेंटल स्टोर को भंडार सीमा से दी गयी छूट वापस लेनी शुरू कर दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट, कर्नाटक, राजस्थान और तमिलनाडु पहले ही इस संदर्भ में आदेश जारी कर चुके हैं।