अर्थशास्त्री अनिल बोकिल ने शनिवार रात पुणे में दिवंगत नरेंद्र बल्लाल व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा, हम इस कदम को स्वीकार नहीं करते लेकिन हम इसके खिलाफ भी नहीं हैं। उन्होंने कहा, हम न्यूनतम नकदी अवधारणा चाहते हैं, कैशलैस नहीं जैसी कि सोसाइटी ने परिकल्पना की थी। यह पूछे जाने पर कि क्या वह अर्थक्रांति फैसले के पक्ष में नहीं हैं, उन्होंने कहा, सरकार द्वारा बिना तैयारी के यह प्रक्रिया लागू हुई लेकिन हम फैसले और इसके क्रियान्वयन को सकारात्मक कोण से देखते हैं। उन्होंने कहा, लोग नोटबंदी कदम के बाद पिछले कुछ दिनों में हुई मौतों के बारे में उनसे पूछ रहे हैं, लेकिन इस क्रांति के कारण जो कई किसानों की जिंदगी बची है उनका क्या।
हालांकि बोकिल ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का विरोध नहीं किया है। उन्हे इसके क्रियांवयन के तरीके से शिकायत है। उन्होंने कहा, देश में जो चल रहा है उसके बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं और डरने की कोई बात नहीं। इस फैसले को अच्छी भावना से लेना चाहिए। पुणे स्थित थिंकटैंक से जुड़े अनिल बोकिल उस टीम का हिस्सा थे जिन्होंने सरकार को संभवत: नोटबंदी का सुझाव दिया था।