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अब पत्रकार की हत्या और साधुओं को नपुंसक बनाने के मामलों पर नजर, अगले महीने सुनवाई

साध्वियों से रेप के मामलों में 20 साल की सजा पाने वाले डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ पत्रकार की हत्या और साधुओं को नपुंसक बनाने के भी आरोप हैं।
अब पत्रकार की हत्या और साधुओं को नपुंसक बनाने के मामलों पर नजर, अगले महीने सुनवाई

अपनी जान की बाजी लगाकर बलात्कारी बाबा के काले कारनामेे उजागर करने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ही हत्या के आरोपियों को सजा मिलने की आस बढ़ गई है। 12 साल पुराने इस मर्डर केस में भी गुरमीत राम रहीम पर आरोप हैं। मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को सीबीआई की इसी विशेष अदालत में होनी है। गुरमीत पर साधुओं को नपुंसक बनाने के भी आरोप हैं। यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है जिसकी सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी।

रेप केस में सजा मिलने के बाद डेरा प्रमुख के खिलाफ इन मामलों की सुनवाई में भी तेजी आने की उम्मीद की जा रही है। सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने ही 30 मई, 2002 को अपने सांध्य दैनिक “पूरा सच” में गुरमीत के खिलाफ साध्वी का गुमनाम पत्र प्रकाशित किया था। यही पत्र आगे चलकर बाबा को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में मददगार साबित हुआ। लेकिन इस दिलेरी का खामियाजा छत्रपति को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। 24 अक्टूबर, 2002 को उन पर दिन दहाड़े ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर हत्या कर दी गई। बताया जाता है कि मरने से पहले छत्रपति ने अपने बयान में गुरमीत राम रहीम पर आरोप लगया था फिर भी पुलिस ने एफआईआर में गुरमीत का नाम नहीं लिखा था। तभी से उनका बेटा अंशुल इंसाफ के लिए संघर्ष कर रहा है।  

 

जो समाज ने नहीं माना, अदालत में साबित हुआ

गुरमीत राम रहीम को रेप केस में 20 साल की सजा मिलने के बाद दिवंगत रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने कहा कि अदालत ने जघन्य अपराध के लिए जो सजा दी है, वह स्वागत योग्य है। आज उनके पिता का संघर्ष रंग लाया है। इससे उनके पिता के मामले में भी न्याय मिलने की उम्मीद बंधी हैं।

अंशुल के मुताबिक, बड़ी बात यह है कि जिस जघन्य अपराध को अब तक समाज मानने को तैयार नहीं था, वह अदालत में साबित हो गया है। हरियाणा की सरकारों ने कभी उनके साथ सहयोगी नहीं किया। न ही उन्हें सत्ता में बैठे लोगों से कोई उम्मीद है। उन्हें देश की न्याय व्यवस्था में भरोसा है।

यही जज करेंगे पत्रकार मामले की सुनवाई

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले की सुनवाई भी सीबीआई की विशेष अदालत के जज जगदीप सिंह कर रहे हैं, जिन्होंने रेप के मामले में गुरमीत राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई है। यह जानकारी देते हुए रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल ने बताया कि इस केस की सुनवाई 16 सितंबर को होनी है।

 पिछले डेढ दशक से अंशुल अपने पिता के हत्यारों को सजा दिलवाने के लिए कानून संघर्ष कर रहे हैं। जनवरी, 2003 में उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उसी साल सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे। इस मामले में सीबीआई ने 2007 में चार्जशीट दाखिल की थी और मामले की सुनवाई आखिरी दौर में है।   

साधुओं को नपुंसक बनाने के भी आरोप

गुरमीत राम रहीम पर डेरे के साधुओं को नपुंसक बनाने के भी आरोप हैं। साल 2012 में डेरे में साधु रहे हंसराज चौहान नाम के एक व्यक्ति ने मानवाधिकार कार्यकर्ता कर्नल जीएस संधू के जरिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अपील कर आरोप लगाया कि डेरे में 400 से ज्यादा लोगों को नपुंसक बनाया जा चुका है। हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 2015 में इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। इस मामले में हाईकोर्ट में 24 अक्टूबर को सुनवाई होगी।

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