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एनआरसी पर जनता की राय जानने को कांग्रेस का दल पूर्वोत्तर पहुंचा, सबसे पहले मणिपुर में

कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल पूर्वोत्तर के राज्य असम, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा में दौरे पर गया है।...
एनआरसी पर जनता की राय जानने को कांग्रेस का दल पूर्वोत्तर पहुंचा, सबसे पहले मणिपुर में

कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल पूर्वोत्तर के राज्य असम, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा में दौरे पर गया है। यह दल एनआरसी के मुद्दे पर वहां की जनता और पार्टी के नेताओं से विचार जानने का प्रयास करेगी। इस प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश कर रहे हैं।

सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपेगा दल

वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने कहा कि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के पांच सदस्यों का दल आज मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचा। इसके वह दल असम, मेघालय और त्रिपुरा का भी दौरा करेगा। राय के अनुसार कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल आम लोगों, पार्टी के नेताओं और संबंधित पक्षों से बात करेगा और उनके विचार जानने का प्रयास करेगा। यह टीम दौरा पूरा करने के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा इस कमेटी में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, सांसद एवं पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मानिकराम टैगोर, वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद अली खान और महा सचिव एव पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक भी शामिल हैं।

इसलिए जरूरी हो गया क्षेत्र के लोगों की राय समझा

एक अन्य कांग्रेसी नेता ने अपना नाम गोपनीय रखते हुए बताया कि विभिन्न कांग्रेसी नेता और विभिन्न राज्य एनआरसी के मुद्दे पर अलग-अलग विचार रखते हैं। इस वजह से पार्टी अध्यक्ष को पूर्वोत्तर के लोगों के विचार जाने के लिए दल भेजने का फैसला करना पड़ा। एनआरसी प्रक्रिया का कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा विरोध करने पर भाजपा को यह कहने का मौका मिल गया है कि देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी कांग्रेस अवैध प्रवासियों मुख्यतौर पर बांग्लादेशियों के मुद्दे पर नरम रुख अपना रही है।

असम में 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर

असम के बारपेटा और कामरूप जिलों में पूर्व कांग्रेस सरकार ने 2010 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एनआरसी प्रक्रिया तब शुरू की थी जब तरुण गोगोई मुख्यमंत्री थे। वर्षों तक रुकी पड़ी रही एनआरसी प्रक्रिया 2013 में दोबारा शुरू की गई ताकि विदेशियों की पहचान की जा सके। पिछले 31 अगस्त को प्रकाशित की गई एनआरसी की अंतिम सूची की निगरानी सुप्रीम कोर्ट ने की थी। असम के 3.30 करोड़ लोगों को अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए कहा गया था। इस प्रक्रिया में 19 लाख लोगों के नाम इस सूची में शामिल नहीं हो पाए। अब ये सभी नाम असम सरकार द्वारा गठित 300 विदेशी नागरिक ट्रिब्यूनलों में भेजे गए हैं।

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