दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति बदर दुर्रेज अहमद और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की पीठ ने कहा, यह हमें मार रहा है। उन्होंने कहा कि इस गंभीर हालात से छह करोड़ से ज्यादा जीवन प्रति वर्ष बर्बाद हो रहे हैं या यूं कहें तो इससे दस लाख मौतें होती हैं। पीठ ने यह भी कहा कि क्या वोट देने वालों के जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण वोट होते हैं। उच्च न्यायालय ने कहा, राजधानी वालों को पूरी तरह मौत की सजा दी जा रही है और वो भी बिना किसी अपराध के। राजधानी में लोगों को मारा जा रहा है। आप दिल्ली को नहीं मार सकते। वायु प्रदूषण के प्रभावों पर प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि भारत के कई शहरों में, खासतौर पर दिल्ली में प्रदूषण मानक स्तर से ज्यादा है। दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 हमारे देश के हैं।
पीठ ने यह भी कहा कि दिल्ली में सांस के रोगियों की संख्या और इससे मरने के मामले सर्वाधिक हैं। पीठ के मुताबिक सरकार वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने के लिए बाध्य है लेकिन बार-बार निर्देशों और सार्वजनिक राय के बावजूद जिम्मेदार सरकारों ने उस तरह से काम नहीं किया है, जिस तरह उन्हें करना चाहिए। उन्होंने कहा, रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जैसे किसी शहर में वायु प्रदूषण आपके जीवन के अपेक्षित वर्षों से तीन वर्ष कम कर देता है। दिल्ली में दो करोड़ से ज्यादा की आबादी है। इसलिए छह करोड़ जीवन हर वर्ष बर्बाद हो रहे हैं और खत्म हो रहे हैं।