भाजपा सरकार द्वारा शहरों के नाम बदले जाने पर मध्यकालीन इतिहास के जानेमाने इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा कि भाजपा को सबसे पहले अपने अध्यक्ष अमित शाह का नाम बदलना चाहिए क्योंकि उनके अंतिम नाम के रूप में लगने वाला ‘शाह’ फारसी (ईरान) से आया है और इसका संस्कृत से कुछ भी लेना-देना नहीं है।
गुजरात हो गुजरात्र
समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए इरफान हबीब ने कहा कि शहरों के नाम बदलने की प्रक्रिया भाजपा की हिंदुत्व विचारधारा से प्रेरित है। प्रोफेसर इरफ़ान हबीब ने आगे कहा, ‘गुजरात शब्द भी फारसी मूल का है। पहले इसे गुजरात्र नाम से जाना जाता था, इसका भी नाम बदला जाना चाहिए.’
इरफान हबीब के अनुसार ‘भाजपा सरकारों की ओर से नाम बदले जाने की यह रणनीति आरएसएस की ही नीतियों के ही समान है। जैसा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में जो कुछ भी ग़ैर इस्लामिक था, उसके नाम बदल दिए गए हैं, इसी तरह भाजपा और दक्षिणपंथी समर्थक उन चीजों को बदलना चाहते हैं, जो ग़ैर हिंदू हैं और ख़ासकर इस्लामी मूल के हों।
अहमदाबाद और इलाहाबाद की कहानी
अहमदाबाद और इलाहाबाद के बारे में इरफान हबीब ने बताया कि अहमदाबाद अहमद शाह द्वारा बसाया गया था इसके पास ही एक अन्य नगर था जिसे कर्णावती कहा जाता था। दोनों के बीच कोई संबंध नहीं था। इसी तरह जब अकबर ने किले का निर्माण कराया तो इसे इल्लाहाबास कहा गया, फिर ये हिंदी और उर्दू, दोनों में इलाहाबाद हो गया। अंग्रेजों ने इसे अंग्रेजी में अल्लाहाबाद कर दिया। प्रयाग का इससे कुछ लेना-देना नहीं है। यह बस नदियों के संगम को बताता है।