एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म किए जाने की अटकलों के बीच शनिवार को विश्वविद्यालय के कुलपति ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से की मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने पीएम से मुलाकात के दौरान विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जा को बहाल रखने के लिए समर्थन मांगा। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म करने से उन अल्पसंख्यकों पर अच्छा असर पड़ेगा जो उत्तेजित हैं और जिनके मन में आशंका है कि उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। केरल, पश्चिम बंगाल और बिहार में विश्वविद्यालय के तीन आॅफ कैम्पस (मुख्य परिसर से बाहर) केंद्र कथित तौर पर अवैध रूप से स्थापित किए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इनकी मंजूरी विश्वविद्यालय की सर्वोच्च नीति निर्माण इकाई, भारत सरकार और राष्ट्रपति ने दी थी।
करीब 40 मिनट की मुलाकात के बाद शाह ने प्रधानमंत्री से मुलाकात पर संतोष जाहिर किया। वह मुस्लिम समुदाय के कुछ प्रमुख सदस्यों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे। ज्ञापन में अनुरोध किया गया है कि राजग सरकार विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जा को बहाल रखने में पिछली संप्रग सरकार के मूल रूख पर लौटे। इसमें कहा गया है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान अल्पसंख्यकों को अनुच्छेद 31 के तहत अपनी पसंद का शैक्षणिक संस्थान स्थापित एवं संचालित करने का अधिकार देता है। इस बात का जिक्र किया गया है कि मुद्दे से निपटने में राजग के सहानुभूतिपूर्वक रूख रखने का मुसलमान युवाओं पर सकारात्मक असर होगा और इससे वे राष्ट्रीय मुख्यधारा में और अधिक जुड़ेंगे। ज्ञापन में यह भी याद दिलाया गया है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व के तहत भाजपा जब जनता पार्टी का हिस्सा थी तब अपने घोषणापत्र में इसने विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक चरित्र कायम रखने का वादा किया था। कुलपति ने प्रधानमंत्री से कहा, आपकी बुद्धिमता और आपके नारे सबका साथ सबका विकास में हमारी पूरी आस्था है।
गौरतलब है कि 11 जनवरी को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने उच्चतम न्यायालय में कहा था कि राजग सरकार एक धर्मनिरपेक्ष देश में सरकार से वित्तपोषित अल्पसंख्यक संस्थान के विचार का समर्थन नहीं करती है, जिससे विवाद पैदा हो गया था। एएमयू के अल्पसंख्यक चरित्र को बनाए रखने का मुद्दा फिलहाल शीर्ष न्यायालय में लंबित है। शाह ने कहा, मानव संसाधन विकास मंत्रालय को लगता है कि तीन केंद्र (आॅफ कैम्पस) अवैध हैं। उन्हें भारत सरकार और राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त है। फिर वे अवैध कैसे हैं? शाह ने संवाददाताओं से यह भी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से दो बार मुलाकात की है, लेकिन पिछले डेढ़ साल में कई कोशिशों के बाद वह मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से 10 मार्च को मिलने वाले हैं। वह ईरानी से पहली बार तब मिले थे जब वह मंत्री बनी थीं।