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अयोध्या विवाद: शिया वक्फ बोर्ड ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने माना हमारा दिया फॉर्म्यूला

सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराए जाने की 25वीं सालगिरह से एक...
अयोध्या विवाद: शिया वक्फ बोर्ड ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने माना हमारा दिया फॉर्म्यूला

सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराए जाने की 25वीं सालगिरह से एक दिन पहले आज यानी मंगलवार से अंतिम सुनवाई शुरू हो चुकी है। साल 2010 में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था, लेकिन इसके खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट चले गए, जहां आज से इस पर सुनवाई शुरू हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। ये सुनवाई जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ कर रही है, जिसमें उनके साथ जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन हैं। वहीं, रामलला का पक्ष हरीश साल्वे रखेंगे।

सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जब भी इस मामले की सुनवाई होती है तो कोर्ट के बाहर गंभीर प्रतिक्रियाएं आती हैं। इसलिए कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए वह खुद कोर्ट से गुजारिश करते हैं कि सभी याचिकाएं पूरी होने के बाद 15 जुलाई 2019 से इस मामले की सुनवाई शुरू करें।

वहीं, उत्तर प्रदेश के वकील तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल के सभी कथनों को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सभी संबंधित दस्तावेज और अपेक्षित अनुवाद प्रतियां रिकॉर्ड में हैं।

कपिल सिब्बल ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अभियुक्तों पर संदेह जताया। उन्होंने कहा कि 19000 पेजों के दस्तावेज इतने कम समय में फाइल कैसे हो गए। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें और अन्य याचिकाकर्ताओं को याचिका के प्रासंगिक दस्तावेज नहीं दिए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश किए गए सभी दस्तावेजों और सबूतों का अनुवाद करने के लिए उचित समय मांगा। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा, अच्छी खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारा दिया फॉर्म्यूला मान लिया है।

इस मुकदमे की सुनवाई के लिए सभी पक्षकार पूरी तैयारी से कोर्ट में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस विवाद से जुड़े कई भाषाओं में ट्रांसलेट किए गए 9000 पन्नों पर गौर करेगा। इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित कई भाषाओं में हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी।

गौरतलब है कि राम मंदिर के आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 11 अगस्त की सुनवाई में यूपी सरकार से कहा था कि दस सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट में मालिकाना हक संबंधी विवाद में दर्ज तथ्यों का ट्रांसलेशन पूरा किया जाए। कोर्ट ने साफ किया था कि वो इस मामले को दीवानी अपीलों से इतर कोई दूसरी शक्ल लेने की अनुमति नहीं देगा।

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