देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों की प्रतिनिधि संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत ने साल 2011 की जनणगना में मुस्लिम समुदाय के शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के क्षेत्रों में पिछड़े होने के लिए अब तक की सरकारों की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि इस पिछड़ेपन को दूर करने की खातिर शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की बहुत जरूरत है। संगठन ने गुरूवार को कहा कि अगर इस पिछड़ेपन को दूर नहीं किया गया तो यह तबका देश के उपर बड़ा बोझ बन जाएगा।
मुशावरत के अध्यक्ष नवेद हामिद ने कहा, साल 2011 की जनगणना के जो आंकड़े सामने आए हैं वो मुसलमानों के लिहाज से काफी चिंता में डालने वाले हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि देश का मुस्लिम समाज शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में बेहद पिछड़ा हुआ है। अगर इस पिछड़ेपन को दूर नहीं किया गया तो यह तबका देश के उपर बोझ बन जाएगा। हामिद ने कहा, हमारा मानना है कि इस समाज को कम से कम शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की जरूरत है। उन्होंने कहा, सच्चर कमेटी ने मुस्लिम समाज की सही स्थित सामने रखी थी। वह सरकार की समिति थी। उसकी सिफारिशों पर भी सही से अमल नहीं किया गया। मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन के लिए अब तक की सरकारों की नीतियां सबसे अधिक जिम्मेदार रही हैं। हामिद ने कहा, स्वास्थ्य के स्तर पर भी मुसलमानों की उपेक्षा हुई है। मुस्लिम बहुल इलाकों में अस्पताल और दवाखाने नहीं होते। इसका सीधा असर इस समाज के लोगों के स्वास्थ्य पर होता है। उन्होंने दावा किया कि आंकड़ो में यह बात सामने आई है।