आरक्षण को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है। इस बीच जनता दल-संयुक्त (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेताओं ने गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग की है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, जेडीयू के उद्योग और आईटी मंत्री जय कुमार सिंह ने कहा, "मैं अन्य जातियों के आरक्षण के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन हम उन उच्च जातियों के लोगों के लिए आरक्षण की मांग करते हैं जो वास्तव में गरीबी रेखा से नीचे हैं और सबसे खराब स्थिति में रह रहे हैं।"
विधायक ने देश में ऊपरी जातियों में गरीबों को आरक्षण देने के लिए केन्द्र द्वारा "सवर्ण आयोग" (उच्च जाति के लिए आयोग) के गठन की मांग की।
वहीं भाजपा विधायक नीरज कुमार बबलू ने भी ऊंची जातियों के लिए आरक्षण की मांग की। उन्होंने कहा, "मैं अपने दलित भाइयों का विरोध नहीं कर रहा हूं, लेकिन अब हमें भी आरक्षण की जरूरत है। हमारा समुदाय भी गरीब है।"
इससे पहले भी उन्होंने पद्मावत मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई थी और उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में फिल्म को प्रतिबंधित कर दिया था।
जेडीयू के प्रवक्ता सुनील सिंह ने कहा कि अब ऊपरी जातियों के लिए भी आरक्षण की जरूरत है।
बिहार राज्य सवर्ण आयोग, जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2011 में स्थापित किया था, ने ऊपरी जातियों के गरीबों को आरक्षण के लिए कोई रिपोर्ट नहीं दी है या सिफारिश नहीं की है।
ऊंची जातियों में गरीबों की शिकायतों पर गौर करने और यदि आवश्यक हो तो आरक्षण सहित उनके सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कदम उठाने का काम इस आयोग को सौंपा गया था।
गौरतलब है कि बिहार से सांसद और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी पिछले दिनों गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की पैरवी की है। उन्होंने कहा कि गरीब सवर्णों को भी 15 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए।