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जीएसटी परिषद में अमित मित्र के नाम पर भाजपा शासित राज्यों को आपत्ति

बंगाल विधानसभा में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) विधेयक पर मुहर नहीं लगने का खामियाजा वहां के वित्त मंत्री अमित मित्र को उठाना पड़ रहा है। जीएसटी परिषद में अमित मित्र को उपाध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव है, जिसे लेकर भाजपा शासित राज्यों ने आपत्ति जताई है। इन राज्यों को वित्तमंत्रियों ने आपत्ति जताते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा है।
जीएसटी परिषद में अमित मित्र के नाम पर भाजपा शासित राज्यों को आपत्ति

जीएसटी का मापदंड तैयार करने के लिए राज्यों के वित्तमंत्रियों की एम्पावर्ड कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी बंगाल के वित्तमंत्री होने के नाते अमित मित्र के पास थी। इस नाते उन्हें जीएसटी परिषद का गठन होने की स्थिति में उपाध्यक्ष बनाया जाना तय माना जा रहा था। केंद्रीय वित्त मंत्री होने के नाते अरुण जेटली इस परिषद के अध्यक्ष हैं।

हाल में जीएसटी परिषद के स्वरूप को लेकर नई दिल्ली में दो दिन की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में भाजपा-शासित राज्यों के वित्तमंत्रियों ने सवाल उठाया कि बंगाल विधानसभा में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पारित नहीं हुआ। उस राज्य के वित्त मंत्री को किस आधार पर जीएसटी परिषद का वाइस-चेयरमैन बनाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, यह तर्क सामने आने के बाद इस पद के लिए चुनाव कराने की नौबत आ गई है। सरकार की कोशिश है कि आम राय से इस पद के लिए नाम तय हो जाए। मामले को सुलझाने के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने तय किया है कि वे निजी तौर पर इस मामले में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बातचीत करेंगे। वे समझना चाहेंगे कि ममता बनर्जी की सरकार ने आखिर इस विधेयक को विधानसभा में लटका कर क्यों रखा है।

जीएसटी परिषद के लिए गैर-भाजपा राज्यों के वित्तमंत्रियों में अमित मित्र के नाम पर एकमत है। जीएसटी विधेयक के मुद्दे पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रवैए में बदलाव आने के पहले भाजपा शासित राज्य भी अमित मित्र के नाम के पक्ष में थे। एम्पावर्ड कमेटी के चेयरमैन के नाते जीएसटी का स्वरूप तय करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अरुण जेटली के साथ भी उनके संबंध अच्छे बताए जाते हैं। हाल की बैठक में भी अरुण जेटली ने उनके साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की है।

अगस्त में संसद में जीएसटी को लेकर संविधान संशोधन विधेयक पारित होने के बाद से अब तक 20 राज्यों ने स्वीकृति दे दी है। इनमें दिल्ली, बिहार, मिजोरम, उड़ीसा जैसे गैर-भाजपा शासित राज्य भी हैं। बंगाल में पारित नहीं होने से भाजपा के नेता यह मान रहे हैं कि ममता बनर्जी दरअसल नरेंद्र मोदी सरकार के साथ मोलभाव के मूड में है। लिहाजा, भाजपा को भी दबाव बनाए रखना चाहिए।

संकेत हैं कि अरुण जेटली की ममता बनर्जी के साथ बातचीत होने पर बर्फ गलेगी। अमित मित्र के अनुसार, बंगाल सरकार ने जीएसटी को लेकर कदम पीछे नहीं खींचे हैं। दरअसल, राज्य का नाम बदलने के लिए विधानसभा का जो अधिवेशन बुलाया गया था, उसमें समय नहीं मिला। अभी भी एम्पावर्ड कमेटी की बैठकों की अध्यक्षता वे ही कर रहे हैं। अमित मित्र के अनुसार, विधानसभा के अगले अधिवेशन में यह विधेयक रखा जाएगा। राष्ट्रपति इसपर दस्तखत कर चुके हैं, इसलिए यह औपचारिकता मात्र है।

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