कोरोना संकट से जूझ रहे अमेरिका में अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़क उठी है। अमेरिका के मिनियापोलिस के अलावा फ्लोरिडा, जैक्सनविल, लॉस एंजेलिस, पीटसबर्ग, न्यूयॉर्क समेत कई जगहों पर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं इसे लेकर सोशल मीडिया पर #BlackLivesMatter ट्रेंड करने लगा है। ट्विटर, यूट्यूब, नेटफ्लिक्स, नाइकी ने भी इसपर अपना विरोध जताया है। इस बीच भारत में भी सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है कि यहां के लोग अमेरिका में हुई रंगभेद की घटना पर खूब बोल रहे हैं मगर यहां दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली घटनाओं पर वे चुप्पी साध लेते हैं।
बता दें कि मिनियापोलिस में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद शुरू हुए हिंसक प्रदर्शन के बीच कई इलाकों में नेशनल गार्ड की तैनाती की गई है। जॉर्जिया के गवर्नर ने आपातस्थिति की घोषणा की है। वहीं, इस घटना के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर ने अपनी प्रोफाइल और कवर फोटो को ब्लैक कर दिया है। यूट्यूब, नेटफ्लिक्स ने भी इस घटना का विरोध किया है। नाइकी ने इसे लेकर ट्विटर पर एक मिनट का वीडियो साझा किया है।
'जॉर्ज श्वेत होते तो आज जिंदा होते'
जॉर्ज की मौत ने अमेरिका में एक बार फिर से काले और गोरे की बहस छेड़ दी है। घटना को लेकर मिनियापोलिस के मेयर जैकब फ्रे ने कहा कि अगर जॉर्ज श्वेत होते तो आज जिंदा होते। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि 2020 के अमेरिका में ऐसी घटना सामान्य नहीं होनी चाहिए।
'भारत में जातीय-मजहबी भेदभाव पर चुप्पी क्यों'
भारत में भी अमेरिका में हुई इस घटना के खिलाफ सोशल मीडिया में जमकर विरोध किया जा रहा है। वहीं इसके साथ यहां यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि लोग अमेरिका में हुई घटना के खिलाफ़ खुलकर बोल रहे हैं, मगर भारत में होने वाली जातीय और मजहबी घटनाओं पर वे चुप रहते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने फ़िल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को टैग करते हुए ट्विटर पर पूछा,
"प्रियंका चोपड़ा जॉर्ज फ्लॉयड और #BlackLivesMatter के प्रति आपकी एकजुटता देखकर अच्छा लगा। लेकिन आप हमारे ही भारत में पुलिस की मुसलमानों के खिलाफ संस्थागत इस्लामोफोबिक हिंसा पर चुप क्यों हैं? कृपया भारत में #MuslimLivesMatter कहें।
एक ट्विटर यूजर मोकर्रम रजा लिखते हैं, "अमेरिका में जो जॉर्ज के साथ हुआ है, वो तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं हुआ है, लेकिन हमें तो ये सब देखने की आदत बनी हुई है, क्यूँकि भारत में तो दलित/आदिवासी/अल्पसंख्यक आदि के साथ ऐसी घटनाएं प्रतिदिन होती रहती है। "
आर्यन यादव ने ट्वीट किया, 'जातिवादी' लोग अमेरिका के नस्लभेद का विरोध करते हैं, लेकिन भारत के 'जातिवाद' का समर्थन। #BlackLivesMatter
एक और ट्विटर यूजर सान्वी ने ट्वीट किया, मुझे उन सेलिब्रिटियों की जातिवादी सोच पर तरस आता है जो आज अमेरिका में नस्लवाद के खिलाफ बोल रहे हैं लेकिन भारत में हो रहे जातीय नरसंहार पर जुबान तलक नहीं खोलते। इतनी मक्कारी कहाँ से लाते हो?
पूजा नाम के एक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, जॉर्ज की मौत के बाद अमेरिका में जो भी हो रहा है वह भयावह है... लेकिन जिस प्रकार कई प्रसिद्ध हस्तियाँ और प्लैटफॉर्म्स इसके खिलाफ आवाज़ उठा रहें हैं.. वह ज़रूर प्रशंसनीय है... भारत में लोगों को इससे सीख लेकर हर गलत के खिलाफ आवाज़ उठाना सीखना चाहिए।
अमेरिका में क्यों फैली है हिंसा?
एक अश्वेत व्यक्ति की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद कई शहरों में हिंसा भड़की है। वाइट हाउस के पास विरोध प्रदर्शन को देखते हुए वाशिंगटन डी.सी में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राजधानी में फ्लॉयड की मौत के विरोध में रविवार को लगातार तीसरे दिन प्रदर्शन हुआ। मामला 25 मई का है जब एक श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने 46 वर्षीय फ्लॉयड को उसकी गर्दन पर घुटना रखकर पकड़ा। इस दौरान वह बार-बार कहता रहा, "मैं सांस नहीं ले सकता..कृपया, मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं। मुझे छोड़ें।" हालांकि, बाद में पुलिस अधिकारी को थर्ड डिग्री देने और हत्या के आरोप में शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया था।