पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद देश भर में इस घटना की कड़ी निंदा हो रही है। विरोध में अनगिनत हाथ उठ रहे हैं, लोगों द्वारा एकजुट होकर हत्या के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है। भला हत्या जैसे जघन्य अपराध का समर्थन कौन कर सकता है? कौन इस बर्बरता को जायज ठहरा सकता है?
लेकिन कुछ लोग इस हत्या को जायज ठहराते हुए दिखाई दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर अमूमन ऐसी प्रतिक्रियाएं कई मसलों पर देखने को मिल जाती है। लेकिन इसमें हैरान करने वाली बात यह है कि जिस ट्विटर अंकाउंट से हत्या को जायज ठहराने वाले पोस्ट किए गए उस अकाउंट को खुद देश के पीएम नरेन्द्र मोदी सहित कई बड़े प्रभाव वाले नेता फॉलो करते हैं।
‘हत्या’ को ‘जायज’ ठहराती ‘भीड़’
पिछले कुछ समय से सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक ऐसे लोगों का उभार हुआ है जो हत्याओं को भी उचित ठहराते नजर आते हैं। मॉब लिंचिंग से लेकर हत्याओं को जायज ठहराने की प्रवृत्ति में भी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। गौरी लंकेश की हत्या मामले में ऐसे कई उदाहरण सामने आए जो इस खतरनाक प्रवृत्ति के शिकार हैं। ट्विटर पर निखिल दधीच नाम के एक व्यक्ति लिखा है, “एक कुतिया कुत्ते की मौत क्या मरी सारे पिल्ले एक सुर में बिलबिला रहे है।”
गौरतलब है कि इस अकाउंट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा फॉलो किया जाता है।
वहीं आशीष मिश्र (@aashish81us) नाम के ट्विटर अकाउंट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और विजय गोयल फॉलो करते हैं। आशीष मिश्र ने ट्वीट किया कि बुरहान वानी के बाद गौरी लंकेश को भी मार दिया गया। यह कितना दुखद है।
सिर्फ फॉलो करने से क्या होता है?
यदि इस मसले को सिर्फ 'सोशल मीडिया में फॉलो करने से कुछ नहीं होता' सोचकर नजरअंदाज कर दिया जाए तो इसके बुरे परिणाम हो सकते हैं। दरअसल, सोशल मीडिया या असल जीवन में बड़े जनाधार वाले प्रतिष्ठित लोग जनमत बनाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये लोग अपने सार्वजनिक निजी कृत्यों से समाज के बड़े तबके को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के तौर पर गौरी लंकेश वाले प्रकरण में आशीष अथवा निखिल के अकाउंट से साझा किए गए पोस्ट पर हजारों की संख्या में लोगों ने प्रतिक्रियाएं दी है। बहुत से लोग इनके पक्ष में भी दिखाई दे रहे हैं। इसमें गौर करने वाली बात यह भी है कि पीएंम अथवा दूसरे प्रभावशाली लोगों द्वारा उनको फॉलो किए जाने की बात का तमगा के साथ ये लोग अपने अकाउंट का परिचय देते हैं। तब क्या इनके संदेश के संप्रेषण का दायरा और प्रभाव नहीं बढ़ता होगा?
ऐसे लोगों को पीएम मोदी क्यों फॉलो करते हैं?
ट्विटर पर करोड़ों फॉलोवर वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद ट्विटर पर कुल 1779 लोगों को फॉलो करते हैं। जिनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनके अकाउंट से कई आपत्तिजनक संदेश पोस्ट होने वाली बात सामने आई है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है आखिर क्यों हमारे प्रभावशाली नेताओं को ऐसे लोगों को फॉलो करने की जरूरत पड़ती है। दरअसल, इस पर कहा जा रहा है कि ऐसे बहुतेरे लोग हैं जिनका योगदान सोशल मीडिया के द्वारा नरेन्द्र मोदी को पीएम नरेन्द्र मोदी बनाने में रहा है। ब्लॉगर, ट्विटर या फेसबुक यूजर जो नरेन्द्र मोदी के पक्ष में लंबे समय से हवा बना रहे थे। उनमें कुछ ऐसे तत्व भी शामिल हो गए जो कथित तौर पर अतिराष्ट्रवादी की श्रेणी में आते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा फॉलो किए जाने वाले भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यपरिषद के सदस्य जयराम विप्लव ने आउटलुक को बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके संयमित और विकास प्रधान विचारों की वजह से फॉलो किया। विपल्व का कहना है, “ऐसे कुछ लोग होंगे जिनके द्वारा आपत्तिजनक बातें कही गई हों लेकिन मेरे जैसे भी बहुत लोग हैं जो संयमित विचार रखते हैं। इसे ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए।”
वहीं नाम ना छापने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने बताया, “पीएम के द्वारा फॉलो किए जाने को लेकर कई गड़बड़ियां भी हो रही हैं। एक ओर जहां इस सूची में मोदी के पक्ष में काम करने वाले लोग हैं वहीं दूसरी ओर आईटी सेल द्वारा प्रस्तावित वे नाम भी हैं जिसे पीएम मोदी जानते भी नहीं हैं। आईटी सेल में इस बात को लेकर कई बार बहस भी हुई है।”
#BlockNarendraModi
7 सितंबर को ट्विटर में #BlockNarendraModiट्रेंड कर रहा है। कई यूजर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्लॉक करके ब्लॉक्ड पेज की फोटो डालकर अपने विचार लिखे हैं। हालांकि यह भी असहमति का क्रूर नमूना है, इसे भी जायज नहीं कहा जा सकता। क्योंकि सोशल मीडिया में किसी को ब्लॉक करने का मतलब अभिव्यक्ति को ब्लॉक करना माना जा सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री के खिलाफ यह ट्रेंड होना लोकतांत्रिक समाज के लिए सोचने का विषय है।
अच्छे दिन के लिए
कुलमिलाकर यह कहा जा सकता है कि जाने-अनजाने में यदि गलत चीजों को प्रोत्साहन मिलता रहेगा तो समाज में बुराइयों के हौसले बुलंद होते रहेंगे, ऐसे में इन तत्वों को हतोत्साहित करने की दिशा में ठोस उपाय किए जाने चाहिए, जिससे सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक ‘अच्छे दिन’ आ सके।