मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को विदेश अनुदान से जुड़े एक मामले में बांबे हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है। इन्हें 20 हजार रुपये की जमानत और निजी मुचलका भरने के बाद इस शर्त पर जमानत दी गई है कि वे सीबीआई जांच में सहयोग करेंगे और मुंबई से बाहर जाने से पहले इसकी सूचना देंगे। हाई कोर्ट ने सीबीआई की तीस्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की मांग भी खारिज कर दी है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने तीस्ता व उनके पति की अग्रिम जमानत का यह कहते हुए विरोध किया है कि इन दोनों ने कानून का उल्लंघन किया है और ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इसलिए सीबीआई को इन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की अनुमति दी जाए। तीस्ता का बचाव करते हुए उनके वकील मिहिर देसाई और एस पी चिनॉय ने कहा कि इन दोनों ने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है। ज्यादा से ज्यादा यह कानून को अलग-अलग नजरिये से देखने का मामला है। वकीलों की दलील है कि फोर्ड फाउंडेशन से तीस्ता की संस्था को मिला पैसा चंदा नहीं बल्कि परामर्श सेवाओं के लिए हुआ भुगतान है, इसलिए यह विदेशी अनुदान नियमन अधिनियम यानी एफसीआरए के तहत नहीं आता।
देश के लिए खतरा नहीं हैं तीस्ता
गौरतलब है कि सीबीआई ने गृह मंत्रालय के निर्देश पर तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के खिलाफ सरकारी अनुमति के बगैर फोर्ड फाउंडेशन से विदेशी अनुदान प्राप्त करने का मामला दर्ज किया था। टीवी रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस मृदुला भाटकर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया कि हिरासत में लेकर पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है।अग्रिम जमानत देते हुए उन्होंने कहा है कि ऐसा लगता है कि धनराशि में किसी प्रकार का दुरुपयोग हो सकता है लेकिन देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को इनसे कोई खतरा नहीं है। जज ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में भिन्न मत रखने की आजादी की रक्षा करना सरकार का फर्ज है और असहमति वाले विचारों को राष्ट्र विरोधी नहीं कहा जा सकता है।