वित्त मंत्री अरुण जेतली के मुताबिक, इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए एक पैनल बनाया जाएगा। बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद जेतली ने बताया कि एयर इंडिया लंबे समय से घाटे में चल रही है और घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसे उबारने के लिए यह कदम उठाया गया है। सैद्धांतिक रुप से एयर इंडिया के विनिवेश को मंजूरी दे दी गई है। विनिवेश प्रक्रिया के तौर तरीके तय करने के लिए वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक समूह गठित करने के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया गया है।
सरकार की ओर से पहले भी कई बार एयर इंडिया की हालत सुधारने के प्रयास किए गए हैं लेकिन हालात में सुधार नहीं हो पाया। यूपीए सरकार ने 2012 में एयर इंडिया को 30 हजार करोड़ रुपये का बेलआउट पैकेज भी दिया था। लंबे समय से विनिवेश की मांग उठ रही थी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि एयर इंडिया के कर्ज से डूबे सरकारी बैंकों को सहारा दिया जा सके। नीति आयोग ने भी पूरी तरह निजीकरण करने पर बल दिया था। मौजूदा समय में एयर इंडिया के पास 140 विमान के साथ देश की सबसे बड़ी घरेलू विमान सेवा है जिसमें 41 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के साथ 72 घरेलू उड़ाने शामिल हैं। समझा जाता है कि एयर इंडिया के विनिवेश को मंजूरी के बाद निजी टाटा कंपनी टाटा सरकार से एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीद सकती है। इस बारे में टाटा के अधिकारों और सरकार के बीच अनौपचारिक बातचीत भी हुई है। हालाकि वषर् 1983 से पहले एयर इंडिया का मालिकान हक टाटा समूह के पास ही था।