लोकसभा और राज्यसभा से ताल्लुक रखने वाले लगभग 11 कांग्रेस सांसदों ने कावेरी विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ संसद परिसर में आज गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया। शीर्ष अदालत ने 20 सितंबर को कर्नाटक को निर्देश दिया था कि वह तमिलनाडु को प्रतिदिन 6,000 क्यूसेक पानी जारी करे। इसने कावेरी प्रबंधन बोर्ड का गठन करने का भी सुझाव दिया था। बेंगलूर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद डीके सुरेश ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने के बाद कहा, हमने मोदी जी से मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने तथा मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने तथा कावेरी जल विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने का निर्देश देने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सांसदों ने पीएम से मांग की है कि कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच पानी बंटवारे के मुद्दे के समाधान के लिए कावेरी प्रबंधन बोर्ड स्थापित नहीं किया जाना चाहिए। सांसदों ने शिकायत की कि प्रधानमंत्री ने उनकी चिंताओं को सुनने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया। सांसदों ने प्रधानमंत्री और जल संसाधन मंत्री उमा भारती को अलग-अलग ज्ञापन दिया।
सुरेश ने कहा कि तमिलनाडु को पानी जारी करना कर्नाटक के लिए संभव नहीं होगा क्योंकि पिछले दो वर्षों से भीषण सूखे के कारण इसके जलाशयों में पानी नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के पास पेयजल की मांग को पूरा करने के लिए भी मुश्किल से पानी है। ज्ञापन में सांसदों ने प्रधानमंत्री से कहा कि कर्नाटक सरकार पांच फरवरी 2007 को कावेरी जल पंचाट द्वारा दिए गए आदेश का पालन करने के लिए ईमानदार प्रयास कर रही है। लेकिन तमिलनाडु सरकार मामले को उच्चतम न्यायालय के समक्ष ले गई जो कि अवांछित था। उन्होंने कहा, पानी के बंटवारे से संबंधित विवाद को राज्यों के बीच पारस्परिक चर्चा और सहमति से सुलझाया जा सकता है। लेकिन मुद्दे को सुलझाने की जगह, उच्चतम न्यायालय के बार-बार के फैसलों से स्थिति बिगड़ गई है, दोनों राज्यों के बीच गंभीर मतभेद हो गए हैं। तुमकुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद एम गौड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए तथा कर्नाटक के जलाशयों में पानी की उपलब्ध्ता की जमीनी हकीकत का आकलन कर कावेरी के पानी के बंटवारे पर संज्ञान लेना चाहिए।