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कई हस्तियों ने सुप्रीम कोर्ट से धारा 377 को रद्द करने की मांग की

समलैंगिक (एलजीबीटी) समुदाय का हिस्सा होने का दावा करने वाली कुछ मशहूर हस्तियों ने उच्चतम न्यायालय का रूख कर आईपीसी की धारा 377 को रद्द करने की गुहार लगाई है। आईपीसी की धारा 377 के तहत देश में समलैंगिकता एक दंडनीय अपराध है। इस अर्जी पर कल सुनवाई होने की संभावना है।
कई हस्तियों ने सुप्रीम कोर्ट से धारा 377 को रद्द करने की मांग की

प्रसिद्ध शेफ रितु डालमिया, होटल कारोबारी अमन नाथ और डांसर एन एस जौहर सहित कई हस्तियों ने इस आधार पर अपने यौन अधिकारों की रक्षा की मांग की है कि यह जीवन जीने के मूल अधिकार का अभिन्न हिस्सा है। बुधवार को जब गर्मी की छुट्टियों के बाद अदालतें खुलेंगी तो न्यायालय द्वारा इस अर्जी पर सुनवाई करने की संभावना है। इन हस्तियों ने अपनी अर्जी में कहा है कि दंडात्मक प्रावधान से उनका जीवन कठोरता से सीमित कर दिया गया है और उनके अधिकारों में दखलंदाजी हो रही है। अर्जी के मुताबिक, भारत में विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपलब्धियों और योगदान के बावजूद उन्हें यौन अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, जो कि बेहद बुनियादी और अभिन्न मूल अधिकार है। धारा 377 उन्हें अपने ही देश में अपराधी बना रही है।

 

इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने एनजीओ नाज फाउंडेशन और कुछ समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं की क्यूरेटिव अर्जी पर खुली अदालत में सुनवाई पर अपनी सहमति दी थी। दो फरवरी को अदालत ने क्यूरेटिव अर्जी पांच जजों वाली एक संविधान पीठ को भेज दी ताकि दो साल पहले के उस फैसले का पुनर्परीक्षण किया जा सके जिसमें आईपीसी की धारा 377 के समलैंगिक यौन संबंधों को दंडनीय अपराध बनाने के प्रावधान को बहाल कर दिया गया था।

 

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