केंद्रीय कर्मचारियों के लिए केद्र सरकार की तरफ से खुशखबरी है।
पीटीआई के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को मकान बनाने के लिए अग्रिम ऋण की सीमा बढ़ाकर अधिकतम 25 लाख रुपये कर दी है। साथ ही मौजूदा मकान के विस्तार के लिए भी ऋण सीमा बढ़ाकर दस लाख रुपये की गई है।
अगर पति-पत्नी दोनों केंद्रीय कर्मचारी हैं तो वे अलग-अलग या एक साथ इस राशि को ले सकते हैं। हालांकि कर्मचारी अपने सेवाकाल में यह सुविधा केवल एक बार ले सकेंगे। ऋण की राशि कर्मचारी की बची हुई सेवा अवधि पर निर्भर करेगी।
केंद्रीय आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय ने आवास निर्माण अग्रिम नियमावली (एचबीए)-2017 जारी करते हुए कहा है कि कोई भी कर्मचारी अब एक करोड़ तक का मकान खरीद सकता है. पहले यह सीमा तीस लाख रुपये थी. इस राशि से बैंकों या वित्तीय संस्थानों से लिया गया ऋण भी चुकाया जा सकता है.
मूल वेतन के 34 महीने के बराबर कर्ज मिलेगा
नए नियमों के मुताबिक कर्मचारी अपने मूल वेतन के 34 माह की राशि के बराबर या अधिकतम 25 लाख रुपए का अग्रिम ऋण ले सकता है। पहले यह राशि 24 माह और साढ़े सात लाख रुपये थी। मकान के विस्तार के लिए अग्रिम राशि को एक लाख 80 हजार रुपये से बढ़ाकर दस लाख रुपये किया गया है। पहले पति-पत्नी दोनों के सेवा में होने पर भी एक को ही इसका लाभ मिलता था, लेकिन अब दोनों इसका लाभ ले सकेंगे।
अग्रिम ऋण पर साढ़े आठ फीसदी की दर से साधारण ब्याज देना होगा। इसके पहले यह छह से साढ़े नौ फीसदी (पचास हजार से साढ़े सात लाख के ऋण पर) था। ब्याज दर का हर तीन साल में पुनर्निर्धारण किया जाएगा। किस्तों में कर्ज की वापसी की पुरानी प्रक्रिया को ही बहाल रखा गया है।
नए मकान के लिए अग्रिम ऋण अब 34 माह का मूल वेतन या 25 लाख रुपये तक लिया जा सकेगा। जबकि पहले यह 24 माह का मूल वेतन या साढ़े सात लाख रुपये तक लिया जा सकता था।
बदले नियम कहते हैं कि पुराने मकान के विस्तार के लिए अग्रिम ऋण जहां पहले एक लाख अस्सी हजार रुपये तक लिया जा सकता था वह ऋण अब दस लाख रुपये लिया जा सकेगा।
नए नियमों के मुताबिक ब्याज दरों में भी केंद्रीय कर्मचारियों को रियायत मिलेगी। पहले जहां सरकार साढ़े नौ फीसदी तक ब्याज लेती थी वहीं अब साढ़े आठ फीसदी की दर से ब्याज लगेगा।
पहले के नियमों के मुताबिक कर्मचारी तीस लाख रुपये तक का मकान ले सकते थे। वहीं अब एक करोड़ रुपये तक ले सकते हैं। पहले के नियमों के अनुसार यह ऋण सेवारत पति पत्नी में कोई एक ले सकता था पर अब सेवारत पति- पत्नी दोनों अलग-अलग ऋण ले सकते हैं।