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चर्चाः सूरज की रोशनी पर अमेरिकी ग्रहण | आलोक मेहता

दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दोस्त बराक के स्वागत-सत्कार और समझौतों के साथ जयकार कराते हैं और वाशिंगटन में बराक ओबामा प्रशासन भारत के सौर ऊर्जा मिशन के तहत हजारों गांवों में रोशनी देने वाले कार्यक्रम को रोकने के लिए विश्व व्यापार संगठन में मामला दर्ज कर देता है।
चर्चाः सूरज की रोशनी पर अमेरिकी ग्रहण | आलोक मेहता

अमेरिका अपनी पुरानी टेक्नोलॉजी वाले परमाणु बिजली संयंत्र बेचने के लिए दो वर्षों से दबाव बनाए हुए है और सौर ऊर्जा के लिए भी अपने सोलर पैनल के धंधे में भारत से मुनाफा चाहता है। अमेरिका तब कहां था, जब चीन सोलर पैनल के व्यापार में भारत सहित दुनिया भर में अग्रणी हो रहा था। हालत यह रही है कि भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स के सोलर पैनल अधिक अच्छे होते हुए भी सरकारी टेंडर में चीनी कंपनियां न्यूनतम मूल्य लगाकर आगे बनी रहीं। मनमोहन सरकार में तो विश्व बैंक तथा विश्व व्यापार संगठन की सलाह का वर्चस्व रहा। फिर भी सरकार में कम से कम यह प्रावधान किया कि सौर ऊर्जा कार्यक्रम में स्वदेशी कंपनियों को वरीयता मिलेगी। दुनिया में दादागिरी करने वाले अंकल सैम को आत्मनिर्भरता का यह कदम रास नहीं आया। उसने विश्व व्यापार संगठन में आपत्ति पत्र दाखिल कर दिया। संगठन की तीन सदस्यीय सुनवाई समिति ने भारत का पक्ष भी सुना। लेकिन अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अमेरिकी वर्चस्व बना हुआ है। इसलिए सुनवाई समिति ने 140 पृष्ठों की रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए वित्तीय सब्सिडी दिए जाने की आपत्ति नहीं मानी, लेकिन इस धनराशि से स्वदेशी सोलर पैनल लगाए जाने को विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत अवैध करार दिया है। मतलब अपना पैसा लाओ और अमेरिका-यूरोपीय कंपनियों को मुनाफा लूटने के लिए उनके सोलर पैनल लगवाने की व्यवस्‍था करो। भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह रेलवे और रक्षा क्षेत्र की आवश्यकता की पूर्ति तथा अपने देश में बिजली उत्पादन के लिए ही सोलर पैनल का इस्तेमाल करेगा और उसका व्यापारिक उपयोग नहीं होगा। इसके बावजूद अमेरिका अड़ा रहा। भारत का सौर ऊर्जा मिशन कांग्रेस गठबंधन सरकार के कार्यकाल में शुरू हो गया था। भाजपा सरकार उसे बड़े पैमाने पर क्रियान्वित करना चाहती है। अपेक्षा यह थी कि मोदी-बराक रिश्तों के आधार पर अमेरिका अपनी आपत्ति से पीछे हट जाएगा। लेकिन अमेरिका के लिए रिश्तों से अधिक धंधे का महत्व है। 

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