Advertisement

चर्चाः चीन से संबंधों के नाजुक तार | आलोक मेहता

आतंकवादी पर प्रतिबंध के मुद्दे पर चीन के रुख से भारत की नाराजगी स्वाभाविक है।
चर्चाः चीन से संबंधों के नाजुक तार | आलोक मेहता

कैलाश मानसरोवर की यात्रा सुगम और सुखद बनाने के लिए दो सप्ताह पहले एक भव्य समारोह में संघ-भाजपा के वरिष्‍ठ सांसद और विदेश मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भारत-चीन संबंधों के ऐतिहासिक सांस्कृतिक संबंधों की प्रगाढ़ता स्वीकारी। सिक्किम से कैलाश मानसरोवर तक की यात्रा मोटरकार से हो सकने का रास्ता पिछले वर्ष ही खुला है। इस बार नए यात्रियों के जाने की तैयारी हो रही है। इसी तरह भारत और चीन के बीच पर्यटन तथा आर्थिक संबंध बढ़ाने के लिए पिछले दो वर्षों में नए कदम उठाए गए हैं। लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र पर वर्षों से चल रही वार्ताओं का कोई निष्कर्ष नहीं निकलने से चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा क्षेत्र में आने-जाने से यदा-कदा चिंता के स्वर उभरने लगते हैं। दूसरी तरफ अमेरिका और पश्चिमी देशों की हथियार लॉबी चीन और पाकिस्तान के साथ रिश्तों में तनाव के प्रचार से अपने हितों की पूर्ति का प्रयास भी करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्‍ट्रपति शी चिन पिंग की शीर्षस्‍थ वार्ताओं से संबंधों के विस्तार की उम्मीद बंधती रही है। लेकिन हाल ही में आतंकवाद के मुद्दे पर संयुक्त राष्‍ट्र में चीन द्वारा आतंकवादी के प्रति उदार रुख दिखाए जाने से भारत का अप्रसन्न होना स्वाभाविक है। इसलिए मास्को में विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज द्वारा चीन के विदेश मंत्री वांग यी के सामने यह मुद्दा उठाया जाना आवश्यक था। भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए चीन को आंख मूंदकर पाकिस्तान और वहां सक्रिय आतंकवादी संगठनों के प्रति सहानुभूति दिखाना अंततोगत्वा उसके लिए भी नुकसानदेय है। पिछले कुछ अर्से में चीन के कुछ क्षेत्रों में ऐसी आतंकवादी गतिविधियों से जनजीवन प्रभावित हुआ है। चीन वक्तव्यों में आतंकवाद की भर्त्सना करता है, लेकिन पाक के कट्टरपंथी आतंकवादियों पर अंतरराष्‍ट्रीय कार्रवाई के प्रस्तावों पर नरम रुख अपना लेता है। यह अजीब सी बात है कि पाकिस्तान में रहकर भारत के विरूद्ध आतंकवादी गतिविधियां चलाने वाला मसूद अजहर खुलेआम घूमता है और उस पर कार्रवाई की भारतीय मांग पर चीन सहयोग नहीं देता। बहरहाल, भारतीय विदेश मंत्री के साथ हुई वार्ता एवं रुख सहित विभिन्न देशों द्वारा आतंकवाद विरोधी अभियान में भारत के समर्थन को देखते हुए चीन से रवैया बदलने की आशा की जाएगी। भारत और चीन को दोनों देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्राथमिकता देकर तनाव वाले मुद्दों को जल्द से जल्द निपटाना होगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad