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चर्चाः शिक्षा परिसर में अग्नि परीक्षा | आलोक मेहता

अब श्रीनगर का शिक्षा परिसर तनावपूर्ण हो गया। महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री का पद तीन दिन पहले ही संभाला है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कश्मीर के नाम पर भारत विरोधी नारे मुद्दा बने और श्रीनगर में गैर कश्मीरी छात्रों की भारत प्रेम आवाज पर टकराव हो गया।
चर्चाः शिक्षा परिसर में अग्नि परीक्षा | आलोक मेहता

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी राष्‍ट्रवाद के साथ गैर कश्मीरी छात्रों के पक्ष में सक्रिय हुई हैं। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की सरकार है। फिर भी छात्रों पर पुलिस ने बर्बतापूर्वक लाठीचार्ज किया। केंद्र सरकार ने झड़प और पुलिस कार्रवाई की जांच के लिए टीम भेजी है और छात्रों को सुरक्षा की गारंटी दी जा रही है। सवाल यह है कि श्रीनगर के राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनआईटी) में तनाव बढ़ाने के लिए कौन से तत्व जिम्मेदार रहे हैं? एनआईटी में राष्‍ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोप में फंसे लोगों को किसका समर्थन मिल रहा है? समय रहते राज्य और केंद्र सरकार कदम क्यों नहीं उठाती? परिसर में रोज तिरंगा फहराने के लिए अनुमति मांगने की जरूरत क्यों पड़ी? राष्‍ट्रीय ध्वज और राष्‍ट्रगान की अनिवार्यता तो हर शैक्षणिक संस्‍थान के लिए अनिवार्य रखे जाने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। दूसरी तरफ क्रिकेट मैच में भारत-पाकिस्तान हो या आस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज- खेल भावना के अनुसार जीत-हार के लिए भिन्न राय पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए? यदि भारतीय टीम ब्रिटेन या आस्ट्रेलिया में विजयी हो और विदेशी युवक उनकी सफलता पर जोर-शोर से तालियां बजाकर उनकी जयकार करने लगें, तो क्या उन्हें ‘देश विरोधी’ माना जाना चाहिए? राष्‍ट्र के प्रति निष्‍ठा और कर्तव्य का पालन हर नागरिक के ‌लिए आवश्यक है। लेकिन यदि विदेश निर्मित सामान को पसंद करना या तरजीह देना लोकतंत्र में निजी स्वतंत्रता के साथ उचित माना जाता है, फिर पाकिस्तान सहित किसी देश के खिलाड़ियों के खेल का समर्थन अनुचित नहीं हो सकता। हां, भारत विरोधी गतिविधियों पर अंकुश एवं कार्रवाई सही मानी जाएगी। लेकिन आंध्र, राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र जैसे राज्यों में कश्मीरी छात्रों और कश्मीर में गैर कश्मीरी छात्रों के साथ दुर्व्यवहार और ज्यादती को रोकने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों को कारगर कदम उठाने चाहिए।

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