मैग्सायसे पुरस्कार से सम्मनित कृष्णा ने कहा, मैं सोचता हूं कि बॉलीवुड में जो कुछ हो रहा है, वह उसी ताकत का दूसरा उदाहरण है। दुनिया में भले ही आपके पास ढेरों धन हो, लेकिन यदि कोई सांस्कृतिक उत्पीड़न होता है तो उसका आपके सारे धन की तुलना में अधिक दबाव और प्रभाव है। कृष्णा कोवालम साहित्य उत्सव में संवाद के दौरान हिंदी फिल्म ए दिल है मुश्किल को मनसे द्वारा मिली धमकी के बाद बॉलीवुड में उत्पन्न हाल के घटनाक्रमों के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। दिवाली पर अट्ठाइस अक्तूबर को रिलीज होने जा रही करन जौहर की फिल्म ए दिल है मुश्किल पिछले कुछ हफ्तों से विवादों में रही है क्योंकि मनसे ने उरी हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों वाली फिल्मों के प्रदर्शन का विरोध किया है।
जब कृष्णा से तलाक और समान नागरिक संहिता से जुड़े विवाद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उल्टा सवाल किया कि क्या वे सवाल सही मंशा से उठाये गए हैं। कृष्णा ने कहा कि इस देश की सबसे बड़ी त्रासदी है कि हमने राजनीति नेताओं को सौंप दी है। उन्होंने कहा कि दूसरी महत्वपूर्ण बात वामपंथ का चला जाना है जिससे देश में प्रगतिशील आंदोलन कमजोर हो गया है। उन्होंने कहा, जब मैं वामपंथ की बात कहता हूं तब मैं उसे राजनीतिक दल के रूप में नहीं कहता बल्कि वामपंथ को एक विचार के रूप में कहता हूं। उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि आज के हालात के सबसे बड़े कारणों में एक है कि विविध विचारों के मिलन, असहमति और हर कुछ की इजाजत देने वाला प्रगतिशील आंदोलन मृत हो गया है।