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आवरण कथा- अवैध कमाई की चकाचौंध

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में डांस बार को इजाजत दी है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार कड़े कानून ले आई है। इस कानून की आड़ में किसके हो रहे हैं पौ-बारह। मुंबई समेत महाराष्ट्र में डांस बार से पाबंदी हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अरसा बीत चुका है। लेकिन कानूनी तरीके से मुंबई में डांस बार अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं।
आवरण कथा- अवैध कमाई की चकाचौंध

हां, चोरी-छिपे अनेक डांस बार चल रहे हैं। मुंबई में फिलहाल दो तरह के डांस बार हैं। एक वे जिन्हें ऑर्केस्ट्रा बार का लाइसेंस मिला हुआ है, दूसरे वे जहां सिर्फ बार की अनुमति है। पहली कैटेगरी के डांस बार लगभग 700 हैं। दूसरी तरह के डांस बार मुंबई से सटे मीरा रोड, भायंदर, नवी मुंबई, कल्याण जैसे इलाकों में हैं, जिनकी संख्या एक हजार तक है। तीसरे तरह के वे हैं, जिन्हें अधिकृत रूप से डांस बार चलाने का लाइसेंस मिला हुआ है। क्या सभी अपने लाइसेंस के अनुसार ही काम करते हैं? क्या अधिकृत डांस बार सुप्रीम कोर्ट के सभी दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं? असलियत क्या है? यह जानने की कोशिश की आउटलुक ने। 

दृश्य एक: शुरुआत की दक्षिण मुंबई से। यहां के एक ऑर्केस्ट्रा बार में हमने एक सेंट्रल टेबल पर डेरा जमाया। कोई साढ़े आठ बजे थे। ऑर्केस्ट्रा बार पूरे शबाब पर था। म्यूजिक बज रहा था, कभी डीजे तो कभी ऑर्केस्ट्रा वाले गाना गा रहे थे। बालाएं नाच रही थीं। बात एकदम साफ थी, मुंबई के दक्षिणी छोर पर इस ऑर्केस्ट्रा बार में जोर-शोर से डांस बार चलाया जा रहा था। फ्लोर पर सात से दस लड़कियां थीं। हमने इन बार बालाओं से बात करने की कोशिश की, लेकिन शोर की वजह से मुमकिन नहीं हो पा रहा था। वेटर ने भी बात नहीं की। हमने कुछ ऑर्डर किया। कोशिश थी, किसी से बात हो। वहां के मैनेजर से बातचीत होने लगी। हमने उसे अपने टेबल पर बिठा कर इधर-उधर की बातों के साथ-साथ डांस बार के बारे में बात करनी शुरू की। पहले तो मैनेजर ने रुचि नहीं दिखाई लेकिन जैसे ही उसे लगा कि हम किसी दूसरे शहर या दूसरे राज्य से मुंबई में मजे करने आए हैं तो उसका रवैया बदला। लगभग पंद्रह-बीस मिनट बाद मैनेजर दोबारा आया और इस बार हमारी डिश के साथ ले आया अच्छी-खासी जानकारी। हमने उससे पूछा डांस बार तो मुंबई में चल रहे हैं, लगता है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर है। जबकि इस डांस बार को सरकार की इजाजत नहीं मिली है। उसने छूटते ही कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने तो फैसला सुना कर अपना काम कर दिया लेकिन सरकार ने अब तक डांस बार शुरू करने के लिए इजाजत देनी शुरू नहींं की है। सरकार और पुलिस नहीं चाहती कि कानूनी तरीके से डांस बार चलें, अगर ऐसा हुआ तो इनकी आमदनी खत्म हो जाएगी।’ हमने उससे पूछा, 'पुलिसवालों को कितना देना पड़ता है?’ इस बात का जवाब तो वह टाल गया। लेकिन उसने एक अहम जानकारी दी, 'पुलिसवालों को सीधे नहीं लेकिन उनके खबरियों को देना पड़ता है। वे बार के मालिक या मैनेजर को धमकाते हैं कि अगर पैसे नहीं दिए तो रेड डलवा देंगे।’ मैनेजर के बाद कुछ ग्राहकों से बात करने की कोशिश की लेकिन सब अपनी मस्ती में मगन थे।


दृश्य दो : रात के लगभग साढ़े नौ बज रहे थे, यहां से हमने रुख किया दादर के एक बार की तरफ। बाहर से एकदम शांत और अंदर शोरगुल, धुआं, शराब और खाने की गंध। हम अंदर पहुंचे तो बार पूरी तरह ग्राहक और बार बालाओं से भरा हुआ था। भीड़ ज्यादा थी इसलिए एक व्यक्ति के साथ हमने टेबल शेयर की। हमने उससे पूछा क्या यहां हमेशा इतनी ही भीड़ होती है? उसने कहा, 'पहले भी कहां सुकून था, डांस बार कम हो गए। यहां आने वाले बढ़ गए। भीड़ तो होगी ही। पता नहीं सरकार को डांस बार से क्या प्रॉब्लम है?’ इससे पहले कि हम कुछ पूछते वही बोल पड़ा, 'इन बार मालिकों ने लगभग लूटना शुरू कर दिया था। रेट इतने बढ़ा दिए थे कि यहां कुछ पीना या खाना मुमकिन ही नहीं हो पा रहा था। इन बार वालों को हमारी हाय लगी इसलिए डांस बार बंद हुए।’ हम कुछ और पूछ पाते वह बार बाला के साथ डांस में मगन हो गया। यहां भीड़ बढ़ती ही जा रही थी, लिहाजा यहां से हम निकले और जा पहुंचे मुलुंड। तीन बार में झांकने के बाद हमने एक बार में बैठने का फैसला किया। अस्सी के दशक के डिस्को गानों पर बार बालाएं थिरक रही थीं और लोग इनका मजा उठा रहे थे। बार बालाएं ग्राहकों के पास जाकर उनसे बात भी कर रही थीं और ग्राहक उन्हें पैसे भी दे रहे थे। हमें लगा कि यहां हम किसी बार बाला से बात कर सकते हैं। एक बार बाला को पास बुला कर हमने बातचीत शुरू की। यह तसल्ली करने के बाद कि हम पुलिसवाले या किसी नेता के सगे नहीं हैं, उसके बाद ही उसने बातचीत शुरू की। उसने बताया, 'जब डांस बार चल रहे थे तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि अचानक एक दिन ये बंद हो जाएंगे और हालात इतने बदतर हो जाएंगे कि हम खाने-पीने की चीजों के लिए भी तरस जाएंगे। टीवी पर डांस बार के विज्युअल्स देखनेवालों या सिनेमा में डांस बार के सीन देख कर लोगों को लगता होगा कि एक बार गर्ल तो एक रात में लाखोंं रुपये कमाती होगी। लेकिन असलियत कुछ और थी, बार बालाओं पर पैसे लुटानेवाले या उड़ानेवाले भले ही पैसे बार बालाओं को देते होंगे लेकिन सारा पैसा हमें बार मालिक के डिब्बे में जमा करना होता, उस में से सौ रुपये भी किसी को ले जाने की इजाजत नहीं होती थी। सबको पूरी चेकिंग के बाद ही बार के बाहर जाने दिया जाता। हमारे घर जाने के बाद बार मालिक ये पैसा गिनते और दूसरे दिन हमें उन पैसों का कुछ हिस्सा दिया करते। हमने अपना हुनर दिखाया लेकिन सारा पैसा सेठ ने कमाया। खैर पछतावा नहींं है। बार गर्ल बनना हमारे नसीब में लिखा था, हम बने। अपने घरवालों का पेट पालने के लिए इस धंधे को चुना, इसका ये मतलब कतई नहीं था कि हम जिस्मफरोशी का धंधा करती थीं। कुछ लड़कियां जो बंगाल या बांग्लादेश और नेपाल से आई थीं जिन्हें जल्द से जल्द बहुत सारा पैसा कमाना था, वे जिस्मफरोशी के धंधे में गईं और उनकी वजह से हमारा धंधा बदनाम हो गया। मैं शादीशुदा हूं, मेरी एक बेटी है और मेरा पति ऑटो चलाता है। मेरी बेटी को नहीं पता कि मैं डांस बार में काम करती हूं। मैंने उसे अंग्रेजी स्कूल में दाखिला दिलाया है।’ जब हमने उससे यह पूछा कि बार बंद होने के बाद बाकी लड़कियां कहां गईं तो उसने कहा, 'कुछ लड़कियां दूसरे देशों में चली गईं। मेरे पास भी बाहर देश जाने का मौका था लेकिन उस वक्त मेरी बेटी का जन्म होने वाला था। मैंने और मेरे पति ने यहीं रहने का फैसला किया। मेरी बेटी के पैदा होने के बाद पति का एक्सीडेंट हो गया। उन्हें लकवा मार गया और मुझे दोबारा यहां आना पड़ा। चोरी-छिपे ही सही लेकिन डांस बार में काम कर लेती हूं। अब शायद यही किस्मत में है।’ हमें काफी देर बात करता देख मैनेजर ने बार गर्ल को इशारा किया और वह वहां से उठ कर निकल गई। डांस बार बंद होने से सबसे ज्यादा मुश्किल में आईं बार बालाएं। कुछ को जिस्मफरोशी का धंधा करना पड़ा तो कई खाड़ी देशों में चली गईं।

 

दृश्य तीन: यहां से निकलकर हमने रुख किया अंधेरी के उस 'फेमस बार लाइन’ का। सबको पता है कि वहां कौन से बार में ऑर्केस्ट्रा चलता है और कौन से बार में डांस। रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। एक बार में हम पहुंचे। ग्राहक अरिजीत सिंह के गानों की फरमाइश कर रहे थे। बार बालाओं पर पैसों की बरसात तो नहीं हो रही थी लेकिन ग्राहक लड़कियों को पास बुला कर टिप दे रहे थे। बार गर्ल्स से हमने बात करने की कोशिश की। बार गर्ल ने हम से ही पूछ लिया, 'क्या अखबारवाले हो?’ हमने कहा, 'नहीं, क्यों?’ उसने कहा, 'अखबार वालों और चैनल वालों से बात करने के लिए मनाही है।’ हमने कहा, 'हम राजस्थान से आए हैं मुंबई दर्शन के लिए।’ उसने बात करना शुरू किया, 'अब कुछ ही दिनों में डांस बार दोबारा शुरू हो जाएंगे और फिर से हमारा अच्छा टाइम आएगा। अभी ग्राहक भी आने से डरते हैं, पता नहीं कब पुलिस आ जाए। कोर्ट का शुक्रिया और हमारी लड़ाई लड़ने वालों का भी शुक्रिया। उन्होंने हमारी तकलीफ समझी।’ उससे पूछा कि सहेलियां या साथी कहां हैं? उसने कहा, 'कई लड़कियां बरबाद हो गईं और कई गुम। बार में नाचनेवाली का नाम सुनते ही सबको याद आती है तरन्नुम, जिस पर एक रात में करोड़ों रुपये उड़ाए गए। लेकिन यह तो पूछो कि तरन्नुम को मिले कितने और अब वह है कहां?’ यहां से बाहर निकलने के बाद हमारी मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से हुई जो बाहर पान का ठेला लगाता और पुलिस के आने के बारे में बार मालिक को सूचना देता है। उससे हमने बात करने की कोशिश की लेकिन उसने मुंह से एक लफ्ज भी नहीं निकाला।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दिवंगत नेता और पूर्व गृहमंत्री आर. आर. पाटिल ने डांस बार पर पाबंदी की वजह बताई थी कि युवा बिगड़ रहे हैं और कानून-व्यवस्था पर असर पड़ रहा है। पाटिल गलत कतई नहीं थे। तब राजनीतिक हलकों में उनकी तारीफ की गई थी। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आया है, विपक्षी पाॢटयों को उन पर हमले करने का मौका मिला है। आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने ही जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष कमजोर किया। विपक्षी पार्टियों ने भाजपा और डांस बार मालिकों में सांठगांठ के भी आरोप लगाए हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आउटलुक से कहा, 'राज्य सरकार हर हाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सक्वमान करेगी। साथ ही हम राज्य के कानून का भी सख्ती से पालन कराएंगे। बार मालिकों को कानून के दायरे में ही काम करने की अनुमति होगी।’

बहरहाल, आइए देखें- पुलिस क्या कर रही है? पिछले दिनों मुंबई पुलिस की सोशल ब्रांच ने मुंबई के उपनगरों में चार बार पर छापा मार कर 60 बार बालाओं समेत 80 लोगों के खिलाफ राज्य सरकार के नए कानून के हिसाब से कार्रवाई की। इस एक रात की रिएलिटी चेक में हमारी मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से भी हुई जो पहले कभी डांस बार का मैनेजर हुआ करता था और अब अपना छोटा सा होटल चलाता है। उसने बताया, 'डांस बार में मैनेजर का काम करना मतलब तलवार पर नंगे पैर चलना है। एक तरफ ग्राहकों को संभालो तो दूसरी तरफ मालिक का गुस्सा और बार बालाओं के एक से एक नखरे। बार बालाएं नाचतीं और लोग उन पर पैसा उड़ाते, उनमें कुछ लोग क्रलोर पर पड़े नोट उठा कर दोबारा बार गर्ल्स पर उड़ाते इसकी वजह से मालिकों की डांट हमें सुननी पड़ती। सारे के सारे पैसे तुरंत सेठ के केबिन में पहुंचाने होते। आज जो हालात हैं वे डांस बार मालिकों के लालच का नतीजा है।’

दृश्य चार: अब हमने रुख किया मीरा रोड का। मीरा रोड और टोल नाकों से कुछ ही दूरी पर हाईवे से सटे हुए एक नहीं बल्कि कई डांस बार दिखाई पड़ते हैं। हमने देखा कि कुछ बार में बेरोकटोक बार बालाएं नाच रही हैं, ग्राहक भी इनके साथ मस्ती कर रहे हैं। यहां किसी से कुछ भी बात करना बेमानी होता। एक अन्य बार में नाच से ज्यादा अश्लीलता थी और बार बालाओं के बदन पर कपड़े भी कम थे। हम वहां से बाहर निकल आए। बाहर आने के बाद पता चला ये 'पिक-अप प्वॉॅइंट’ है। इस वाकये ने ये तो साबित कर दिया कि डांस बार में डांस के साथ-साथ और भी कुछ होता रहा है जिसे लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात कहती रही है। डांस बार्स के वेश्याओं के 'पिक-अप प्वॉॅइंट’ होने का तर्क राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में देती रही है। बार बालाओं के वेश्यावृत्ति में लिप्त होने की खबरें भी आती रहीं। 'पिक-अप प्वॉॅइंट’ को लेकर बार मालिक अब सख्त रवैया अपना रहे हैं। एक बार मालिक के अनुसार, 'कभी भायखला, मालाड और कोलाबा से लेकर कल्याण तक लगभग हर डांस बार में 'पिक-अप प्वॉॅइंट’ हुआ करता था, लेकिन अब हम इसे लेकर काफी सजग हैं। इन 'पिक-अप प्वॉॅइंट्स’ की वजह से ही हमारा धंधा बदनाम हुआ।’ बार मालिक भले ही ये दावा करें कि उन्होंने अपने बार में 'पिक-अप प्वॉॅइंट’ नहीं बनने दिया हो लेकिन जो बार बालाएं वेश्यावृत्ति में उतर चुकी हैं, उन्होंने अपने लिए अलग-अलग 'पिक-अप प्वॉॅइंट’ बना लिए।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के डांस बार बैन के कानून को गैरकानूनी करार देकर डांस बार्स को दोबारा शुरू करने का फैसला दिया। राज्य सरकार नहीं मानी तो बार मालिक दोबारा सुप्रीम कोर्ट गए और तब कोर्ट ने सरकार को ये निर्देश दिए थे कि दो हक्रतों में राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि डांस बार के लिए लाइसेंसीकरण की प्रक्रिया कर 15 मार्च, 2016 से तक डांस बार शुरू किए जाएं। राज्य सरकार ने तब भी कुछ नहीं किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल तक सरकार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर डांस बार को लेकर अपनी स्थिति साफ करने के निर्देश दिए। इसके बाद चली बहस में सुप्रीम कोर्ट ने वह मशहूर टिप्पणी की, 'बार बालाओं को भी कमाकर जीने का हक है।’ ऐसा नहीं है कि दूसरे राज्यों में डांस बार नहीं रहे हैं। लगभग 25 साल पहले राजधानी दिल्ली में तीन-चार ऐसे पब थे जहां कैबरे डांस होता था लेकिन आए दिन बवाल, पुलिस रेड, मार-पीट और नैतिकता के नाम पर आखिरकार इन्हें बंद कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद लाइसेंसिंग विभाग के डीसीपी प्रदीप सावंत ने रातोरात डांस बार मालिकों को बुला कर डांस बार के लिए आवेदन करने को कहा। अंधेरी के एक बार के मुकेशभाई बताते हैं, 'सुप्रीम कोर्ट में तय की गई शर्तों के हिसाब से मुंबई में कुल 153 बार हैं, जिन्हें डांस बार का लाइसेंस मिल सकता है। आठ ने डांस बार शुरू करने के लिए आवेदन दिया है। इजाजत एरो पंजाब, साई प्रसाद और इंडियाना बार को मिली।’ लेकिन अब भी इन तीनों बार में डांस शुरू नहीं हो पाया है। इसकी वजह है महाराष्ट्र सरकार का नया कानून। हालांकि यह कानून महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बनाया है। इस कानून के तहत, आपराधिक पृष्ठभूमिवाले किसी भी व्यक्ति को डांस बार में काम पर जाने से मना किया गया है। राज्य सरकार के कानून का उल्लंघन करने वालों को पांच साल की जेल और 25 हजार रुपयों का जुर्माना भरना पड़ेगा। डांस बार में बार बालाओं पर पैसे नहीं उड़ाए जा सकेंगे। बार बालाओं को किसी भी तरह से छुआ गया तो छह माह की जेल या 50 हजार रुपयों का जुर्माना या दोनों सजा मिल सकती हैं। डांस बार्स और बार बालाओं की सुरक्षा के लिए नियम और शर्तें (देखें बॉक्स) कड़ी की गई हैं।

जानकारों का कहना है कि ये कुछ ऐसी शर्तें हैं जिन्हें पूरा करना आसान नहीं होगा। यही कारण है कि अब तक मुंबई में कोई भी डांस बार अधिकृत रूप से शुरू नहीं हो पाया। सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्ष कुल 26 मुद्दों पर एक राय बना चुके थे। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार को इजाजत देने के निर्देश महाराष्ट्र सरकार को दिए थे। उसके बाद हुए राज्य सरकार के अधिवेशन में सरकार ने नया कानून लाते हुए डांस बार के लिए कड़ी शर्तें लगाईं। आउटलुक ने जब इस बारे में डांस बार एसोसिएशन से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने इस मुद्दे पर दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के संकेत दिए हैं।

 

    डांस बार के लिए शर्तें:

  1.  स्कूल और प्रार्थना स्थल से एक किलोमीटर और रिहायशी बिल्डिंग में डांस बार को इजाजत नहीं।
  2.  21 साल के व्यक्ति को ही डांस बार में एंट्री
  3.  बार के एंट्री प्वॉइंट पर सीसीटीवी कैमरे
  4.  डांस बार शाम 6 से रात 11.30 बजे तक ही खुले रह सकेंगे।
  5.  बार में 10312 फुट का स्टेज होगा, जिसके हर तरफ तीन फुट ऊंचाई की स्थाई (नॉन रिमूवेबल) रेलिंग होगी। बार बालाएं और ग्राहकों में पांच फीट की दूरी होगी।
  6.  स्टेज पर एक वक्त में सिर्फ चार बार बालाओं से ज्यादा डांसर्स नहीं हों। लाइव ऑर्केस्ट्रा न हो
  7.  काम खत्म होने के बाद बार बालाओं को घर तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी बार मालिकों की होगी।
  8.  बार बालाओं के लिए बैंक में खाता खोल कर उनकी सैलरी अकाउंट में जमा की जाएगी।
  9.  बार बालाओं को पीएफ देना होगा।
  10.  बार बाला के अगर बच्चे हों तो उसके लिए अलग से सुविधा मुहैय्या करानी होगी।
  11. डांस बार में महिला सुरक्षा रक्षक तैनात करने होंगे।

 

 पाबंदी की पृष्ठभूमि

डांस बार्स पर पाबंदी का फैसला राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री आर. आर. पाटिल के कार्यकाल में हुआ था। 30 मार्च 2005 में राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री आर. आर. पाटिल ने विधानसभा में लिया था, जिसे सभी राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिला। 22 जुलाई 2005 को मुंबई पुलिस एक्ट के कॉलम 33 (अ) (1) में संशोधन के प्रस्ताव को महाराष्ट्र विधानसभा में मंजूरी भी मिल गई। 15 अगस्त, 2005 से डांस बार्स पर कानूनन बैन लगा दिया गया। उसी दिन होटल एवं रेस्तराँ एसोसिएशन ने इस बैन को बॉम्बे हाईकोर्ट में चैलेंज किया। 12 अप्रैल 2006 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस बैन को संविधान के व्यवसाय एवं नौकरी के स्वतंत्रता अधिकार का हनन मानते हुए गैरकानूनी करार दिया। 16 जुलाई, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट काफैसला बरकरार रखते हुए डांस बार मालिकों को राहत दी। 13 जून, 2014 को थ्री स्टार और फाइव स्टार होटलों में डांस बंदी का विधेयक महाराष्ट्र विधानसभा में पारित हुआ। इसमें थिएटर और टॉकीज समेत जिमखाना और क्लबों में भी डांस पर पाबंदी लगा दी गई। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस कदम को भी गैरकानूनी करार देते हुए कानून में किए गए इस संशोधन को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही डांस बार खुलने का रास्ता भी साफ हो गया। मगर शायद ये इतना आसान नहीं था, डांस बार के लिए पुराने लाइसेंस दोबारा रिन्यू न करने का एलान राज्य सरकार की तरफ से हुआ और फिर शुरू हुई एक नई लड़ाई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वो निर्धारित समय में डांस बार्स के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू करे।

 

 

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