दरअसल बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान जेटली और केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी के बीच काफी तीखी बहस हुई थी। जेठमलानी ने जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द कहे थे जिसपर जेटली गुस्सा हो गए थे। इसी को लेकर जेटली ने नया केस दायर किया है। पिछली सुनवाई के दौरान जब जेठमलानी ने जेटली पर तल्ख टिप्पणियां की थीं तो जेटली के वकीलों ने कहा था कि यह मामला जेटली v/s केजरीवाल है लेकिन इसे जेटली v/s जेठमलानी बनाया जा रहा है। कोर्ट ने भी इस पर नाराजगी जताई थी कोर्ट ने कहा था कि अगर ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने के लिए अरविंद केजरीवाल ने कहा है तो इस मामले में बहस को आगे लेने जाने का कोई फायदा नहीं है। पहले केजरीवाल आकर अपने आरोपों पर बयान दें।
जेटली ने कहा नफरत की एक सीमा होती है
जब जेटली के वकीलो ने पूछा हम यह केजरीवाल से जानना चाहते हैं कि जो आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल किये गये हैं वो उनके कहने पर जेठमलानी ने इस्तेमाल किये या वो शब्द जेठमलानी के थे। इस पर जेठमलानी ने कहा था कि उनसे बात करके ही ये सब कह रहा हूं। हालांकि केस की शुरुआत में केजरी के लिए पैरवी करने वाले वकील अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि मुझे कभी ऐसा करने के लिए नहीं कहा गया था। बहस के दौरान जेटली ने कहा कि नफरत की भी एक सीमा होती है। जेटली के वकील राजीव ने कहा था कि अगर केजरीवाल ने सीनियर वकील को गलत टिप्पणी करने को कहा है, तो फिर 10 करोड़ का एक और मानहानि का केस दायर किया जाएगा।
कोर्ट ने भी लगाई थी फटकार
कोर्ट ने कहा कि जब पहले ही मानहानि का केस चल रहा है, तब ऐसी भाषा का इस्तेमाल करके किसी को बेइज्जत नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा ही किसी रेप के केस में हुआ होता तो यह विक्टिम को तकलीफ देने के बराबर होता। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि विक्टिम के वकील इस मामले में दूसरा केस भी कर सकते हैं। जेठमलानी ने कहा कि डीडीसीए में गड़बड़ियों को लेकर लिखा मेरा एक आर्टिकल फाइनेंस मिनिस्टर के कहने पर मैगजीन ने नहीं छापा, क्योंकि इस दौरान जेटली क्रिकेट बॉडी के प्रेसिडेंट थे। हालांकि इस सवाल को रजिस्ट्रार दीपाली शर्मा ने खारिज कर दिया क्योंकि कोर्ट ने पहले ही इस आर्टिकल को गैरजरूरी माना था।