कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप देश में फैलता जा रहा है लिहाजा लॉकडाउन भी 17 मई तक बढ़ गया है। हालांकि लॉकडाउन में लंबे वक्त से फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को अब घर जाने की छूट दे दी गई है, धीरे-धीरे अलग-अलग राज्यों से मजदूरों को घर पहुंचाया जा रहा है। लेकिन इस बीच कई जगह लगातार देरी होने के कारण मजदूरों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। इस दौरान पुलिस और मजदूरों के बीच झड़पें भी हुईं। पुलिस को लाठीचार्ज और आंसूगैस का भी इस्तेमाल करना पड़ा। गुजरात, केरल, पंजाब, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों से ऐसी कई तस्वीरें सामने आई हैं। प्रवासी मजदूरों की मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द उनके घरों तक पहुंचाया जाए।
गुजरात के सूरत, राजकोट सहित कई जगहों से प्रवासी मजदूरों के प्रदर्शन के बाद पंजाब के लुधियाना में भी सोमवार को मजदूर बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे। यहां मजदूरों ने सड़क पर जाम लगा दिया और कहा कि प्रशासन की ओर से उन्हें राशन नहीं मिल रहा है, ऐसे में तुरंत घर भेजने की व्यवस्था की जाए। प्रवासी मजदूरों के हंगामे के बाद स्थानीय प्रशासन ने एक नंबर जारी किया और मजदूरों से कहा कि वे इस नंबर पर अपना पता और मांग बताएं, उस हिसाब से राशन की व्यवस्था की जाएगी।
केरल, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में भी फूटा मजदूरों का गुस्सा
केरल के कोझिकोड जिले के पायोली में प्रवासी मजदूरों ने अपने घर भेजे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। पुलिस ने कुछ मजदूरों को हिरासत में ले लिया और बाद में उन्हें रिलीज कर दिया।
वहीं आंध्र प्रदेश के कोवुरू में सोमवार को बड़ी संख्या में मजदूर सड़कों पर उतरे और अपने घर जाने की मांग को लेकर हंगामा किया। जब सड़क पर भीड़ बेकाबू हो गई, तो पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लाने के लिए लाठीचार्ज किया।
वहीं हैदराबाद में लगभग 1000 प्रवासी कामगार जो अपने घरेलू राज्यों में लौटने के लिए सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन की ओर जा रहे थे, उन्हें पुलिस ने आज रात बहादुरपुर इलाके में रोक दिया। बाद में उन्हें एक समारोह हॉल में शिफ्ट करने के लिए बसों की व्यवस्था की गई।
कर्नाटक में भी कल प्रवासी श्रमिकों ने बेंगलुरु में बैंगलोर इंटरनेशनल एक्जिबिशन सेंटर (BIEC) के पास राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया और अपने गृह राज्यों को वापस भेजने की मांग की। बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त, मंत्री आर अशोक और अन्य लोग उनसे बात करने के लिए वहाँ पहुँचे। जिसके बाद श्रमिकों को बीआईईसी में स्थानांतरित कर दिया गया।
गुजरात में पथराव और लाठीचार्ज
गुजरात में सूरत जिले के एक गांव के पास अपने घर जाने की मांग कर रहे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की सोमवार को पुलिस से झड़प हो गई। प्रवासी मजदूरों ने पुलिस पर पथराव किया जिसमें एक आईपीएस अधिकारी समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हो गये। एक अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा राजकोट में भी कई मजदूर सड़कों पर उतर आए। वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनके घर भेजा जाए। वापस अपने घर नहीं जा सकने वाले कुछ मजदूरों ने सूरत के एक इलाके में अपना सिर मुंडवा लिया।
पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सूरत के बाहरी इलाके के वरेली गांव के पास सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की पुलिस झड़प हो गई। वे मांग कर रहे थे कि उन्हें उनके मूल स्थान पर भेजने का इंतजाम किया जाए। अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पुलिस पर पथराव किया। इसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने मजदूरों पर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। अधिकारी ने बताया कि इस घटना में महानिरीक्षक (सूरत रेंज) एस पांडियन राजकुमार समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हो गये। उन्होंने बताया कि अब तक पुलिस ने 80 लोगों को हिरासत में लिया है।
इसके अलावा सूरत के पांडेसारा इलाके में सोमवार को 50 प्रवासी मजदूरों ने अपना सिर मुंडवा लिया। ये प्रवासी उत्तर प्रदेश और झारखंड में स्थित अपने मूल स्थान के लिए रवाना नहीं हो सके। उन्होंने दावा किया कि दो दिन पहले उनकी बसों को गुजरात से जाने की अनुमति दी गई थी। लेकिन, बाद में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने ‘‘वैध अनुमति’’ के अभाव के कारण उन्हें सूरत के कोसांबा में रोक लिया और उनसे वापस जाने के लिए कहा ।
मजदूरों ने सुनाई अपनी पीड़ा
श्रमिकों ने कहा कि वे बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे हैं कि प्रशासन उन्हें घर वापस जाने की अनुमति दे। उनमें से एक ने कहा कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद बस के किराया का इंतजाम किया था, जो उन्हें लौटाया नहीं गया है। उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश और गुजरात की सरकारें आपस में समन्वय करें ताकि वे जल्द जल्द लौट सकें। उन्होंने कहा, ‘‘हममें से कई लोगों ने बस के किराए की व्यवस्था करने के लिए अपनी घड़ियां और मोबाइल फोन तक बेच दिए हैं। हम अब भी उसी स्थान पर हैं, जहां से हमारी बसों को चलने की अनुमति नहीं दी गई है। हम यहां फंस गए हैं और अधिकारियों की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है।’’ उत्तर प्रदेश के बदायूं के एक मजदूर ने कहा, ‘‘जिस फैक्टरी में मैं काम करता हूं, वह बंद है और मैं अपने मूल स्थान पर वापस जाना चाहता हूं। वे कहते हैं कि हमें अपने मूल स्थान लौटने के लिए स्वयं वाहनों की व्यवस्था करनी होगी, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार हमें ट्रेनों से भेजे।’’
गुजरात पुलिस ने क्या कहा?
पुलिस ने कहा कि उन्होंने मजदूरों को समझा-बुझाकर उनसे प्रदर्शन खत्म कराया औऱ स्थिति को नियंत्रण में लाए। राजकोट के पुलिस उपायुक्त (जोन-) रवि मोहन सैनी ने कहा, ‘‘हम प्रवासियों के रिहायशी इलाकों में उन तक सक्रिय रूप से पहुंचे और उन्हें समझाया है कि उन्हें उन वाहनों में जाने की अनुमति दी जाएगी जिनकी उन्होंने स्वयं व्यवस्था की, लेकिन इससे पहले उनकी चिकित्सा जांच होगी और अन्य औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों से हमें शिकायत मिली है कि मकान मालिक किराया मांग रहे हैं और फैक्टरी मालिक वेतन नहीं दे रहे हैं। सैनी ने कहा कि हम ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई करेंगे। अब तक प्रवासी हमारी बात समझ गए हैं और शांत हैं।