यूरोपियन यूनियन (ईयू) के सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर पर है। कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाए जाने के बाद यह किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल की इस प्रदेश में यह पहली यात्रा है। हालांकि कांग्रेस समेत विपक्षी दल के नेताओं ने कश्मीर में विदेशी प्रतिनिधिमंडल के दौरे को लेकर तीखी आलोचना की है।
बता दें कि प्रतिनिधिमंडल में 27 यूरोपीय सांसद हैं जो कश्मीर में लोगों, प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इससे पहले यूरोपीय सांसदों ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने इस दौरान सांसदों को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर समेत तमाम इलाकों का दौरा करने से भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के बारे में उन्हें जानकारी मिलेगी।
विपक्ष ने साधा निशाना
इस दौरे को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विदेशी सांसदों को जम्मू-कश्मीर जाने देने और भारतीय सांसदों पर 'बैन' को लेकर सवाल उठाया। वहीं, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस दौरे का विरोध किया।
कांग्रेस ने कहा कि अगर उन्हें जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति दी जा सकती है तो विपक्ष को यही मौका क्यों नहीं दिया जा रहा। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'यूरोप के सांसदों का जम्मू-कश्मीर दौरे के लिए स्वागत है लेकिन भारतीय सांसदों पर प्रतिबंध है और प्रवेश नहीं है। इसमें कहीं न कहीं कुछ बहुत गलत है।'
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आरोप लगाया, ‘‘यूरोपीय संघ के सांसदों के लिए सरकार की ओर से रेड कार्पेट बिछाया जाना और उन्हें जम्मू-कश्मीर के दौरे के लिए आमंत्रित करना भारतीय संसद की संप्रभुता और सांसदों के विशेषाधिकार का अपमान है।’’ पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, ‘‘जब भारतीय नेताओं को जम्मू-कश्मीर के लोगों से मुलाकात करने से रोक दिया गया तो फिर राष्ट्रवाद का चैम्पियन होने का दावा करने वालों ने यूरोपीय नेताओं को किस वजह से जम्मू-कश्मीर का दौरा करने की इजाजत दी?’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह भारत की संसद और लोकतंत्र का अपमान है।’’
‘राहुल गांधी को कश्मीर जाने से क्यों रोक दिया गया?’
महबूबा ने ट्वीट किया, 'यदि अनुच्छेद 370 भारत में जम्मू-कश्मीर को एकीकृत करता, तो राहुल गांधी को कश्मीर जाने से क्यों रोक दिया गया? इसके बावजूद केंद्र सरकार द्वारा फासीवादी और फासीवादी झुकाव वाले यूरोपीय संघ के सांसदों के एक समूह को वहां जाने की अनुमति दी जाती है।'
मुफ्ती ने आगे लिखा, ''उम्मीद है कि उन्हें लोगों, स्थानीय मीडिया, डॉक्टरों और नागरिक समाज के सदस्यों से बातचीत करने का मौका मिलेगा। कश्मीर और दुनिया के बीच के लोहे के आवरण को हटाने की जरूरत है। जम्मू-कश्मीर को अशांति की ओर धकेलने के लिए भारत सरकार को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।’’
स्वामी ने भी उठाए सवाल
विपक्षी दल ही नहीं बल्कि बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इसे लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट किया, "मुझे आश्चर्य है कि विदेश मंत्रालय ने यूरोपीय संघ के सांसदों के लिए जम्मू-कश्मीर के कश्मीर क्षेत्र के दौरा की व्यवस्था की है। यह निजी यात्रा है (यूरोपीय संघ का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं)। यह हमारी राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है। मैं सरकार से इस यात्रा को रद्द करने का आग्रह करता हूं क्योंकि यह अनैतिक है।"