देश की राजधानी दिल्ली में आज और कल पंजाब और हरियाणा के किसानों का विशाल प्रदर्शन होने वाला है। इसके लिए हज़ारों की तादाद में किसान दिल्ली की ओर कूच कर चुके हैं। किसानों के इस प्रदर्शन को रोकने के लिए प्रसाशन भी हर सम्भव कदम उठाने में जुटा है। जानिए, आखिर मोदी सरकार के किन कदमों को लेकर इन किसानों की नाराजगी है...
किसानों के आंदोलन की सबसे बड़ी वजह नए किसान कानून के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के समाप्त होने का डर है। अब तक किसान अपनी फसल को अपने आस-पास की मंडियों में सरकार की ओर से तय की गई एमएसपी पर बेचते थे। वहीं इस नए किसान कानून की वजह से सरकार ने कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि के कारोबार को स्वीकृति दे दी है। इसके कारण किसानों को डर है की उन्हें अब उनकी फसलों का उचित मुल्य भी नहीं मिल पाएगा।
पंजाब और हरियाणा में किसान कानून का विरोध सबसे अधिक देखा जा रहा है। इन राज्यों में सरकार को मंडियों से काफी ज्यादा तादाद में राजस्व की प्राप्ति होती है। नए किसानों कानून की वजह से अब कारोबारी सीधे किसानों से अनाज खरीद पाएंगे। जिसके कारण वह मंडियों में दिए जाने वाले मंडि टैक्स से बच जाएंगे। इसका सीधा प्रभाव राज्य के राजस्व पर पड़ सकता है।
हालांकि केंद्र सरकार अपने बयानों में कई बार कह चुकी है कि वह एमएसपी जारी रखेगी। इसके साथ ही देश में कहीं भी मंडियों को बंद नहीं होने दिया जाएगा, मगर सरकार ने इस बात को नए कानून में नहीं जोड़ा है। जिससे किसानों में बेहद असंतोष और असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
वहीं नए किसान कानून में सरकार ने जिस व्यवस्था को जोड़ा है। उसमें कारोबारी किसान से मंडी के बाहर अनाज खरीद सकता है। अभी तक मंडी में किसान से अनाज की खरीद पर व्यापारी को छह से सात फीसदी का टैक्स देना होता था। जबकि मंडी के बाहर अनाज की खरीद पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना होगा। इससे आने वाले समय में मंडियां पूरी तरह से खत्म होने का खतरा रहेगा। आंदोलनकारियों का मानना है कि इससे किसान सीधे तौर पर व्यापारियों के हवाले होगा। उसे उनकी फसल पर तय दाम से ज्यादा या कम भी मिल सकता है।