‘औरतें मारेंगी लाठियों से, हम कुछ नहीं करेंगे’
दोपहर को हम दादरी के गांव बिसाहड़ा पहुंचे। गांव की दहलीज पर लगे बैरिकेट्स पर पुलिस ने रोक लिया। ‘मीडिया की एंट्री बैन है।’ हमने कहां, कैमरा लेकर नहीं जाएंगे, कुछ बहस की तो पुलिस ने कहा कि गांव के अंदर औरतें लाठियां लेकर बैठी हैं, पिट-पिटा जाओगे और हम कुछ नहीं करेंगे।
प्रताप सेना ने माहौल का मिजाज बदला
हम गांव के गेट पर चार महीने पहले खुले ‘महाराणा ढाबे’ पर खाना खाने आ गए। पूरा मीडिया यहीं फूस की छत के नीचे बने इस ढाबे बैठता है। इन दिनों ढाबे के मालिक रामरत्न राणा की जमकर कमाई हो रही है। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी भी यहीं चाय पीने आ जाते हैं। राणा अखलाक के पड़ोसी भी हैं। कहते हैं ‘मुझे कुछ नहीं पता कि उस रात क्या हुआ। मैं घर गया तो पता लगा कि अखलाक को मार दिया।’ राणा कहते हैं ‘गलत मारा उसे। वो मीट किसी भी चीज का था तो पुलिस को फोन करते, मीडिया को बुलाते। अखलाक का किसी से कोई लेना-देना नहीं था, मिलनसार था, गरीब लोहार था, दांते-वांते बनाता था।’ राम रत्न राणा की बेटी की शादी में अखलाक ने पांच दिन काम किया और अखलाक की बेटी की शादी में राणा उसके घर तीन दिन रहे थे। ‘जब सब ठीक था तो यह कैसे हुआ?’ ढाबे पर बैठे गांव के दूसरे लोगों ने बताया कि चार महीने पहले प्रताप सेना बनी है। उसका अध्यक्ष बिसाहड़ा गांव का ब्रिजेश कुमार सिसोदिया है। यह सेना बहुत जोर-शोर से काम कर रही है। इसके आने से माहौल में बदलाव सा देखने को मिला। हमें एक जगह प्रताप सेना का छिपा सा होर्डिंग मिला,जिसके तमाम सदस्य राजपूत हैं। इसी इलाके में हिंदू वाहिनी और समाधान सेना भी काम कर रही है। समाधान सेना सवर्ण जाति के लोगों को एकजुट कर आरक्षण के खिलाफ माहौल तैयार कर रही है।
‘तुम तो दलाल लो, अखलाक के घर ही घुसे रहते हो’
गांव में प्रवेश पर पाबंदी के बावजूद मीडियाकर्मी अपने-अपने तरीकों से गांव जा रहे हैं। हम भी एक संकरे-कच्चे रास्ते से होते हुए गांव पहुंच गए। गांव पहुंचते ही राजपूत औरतों ने हमें घेर लिया। तल्ख मिजाजी से पूछने लगीं, ‘क्या करने आए हो यहां?’ इतनी तेज तर्रार औरतों की भीड़ देखकर हमने कहा कि आपकी बात सुनने। फिर उनमें से किसी ने हमें बोलने नहीं दिया। ‘अरे अखलाक की तो बेटी खुद बोल रही है कि वो लोग यहां 70 साल से रह रहे हैं। जब इत्ते लंबे समय से रह रहे हैं तो आखिर क्यों 50 मुसलमानों में अकेला अखलाक ही मारा,गलती पर मारा। उसे बाकि मुसलमानों से किसी गलती पर अलग किया। अरे गाय काट डाली उसने, गाय काटेगा?’ हमने पूछा सुना है मुसलमान इस गांव से जा रहे हैं ? ‘अरे कोई नहीं जा रहा। सभी ने दुकानें खोल ली दोबारा।’ ‘मीडियावालों को क्यों रोक रहे हो?’ ‘दिन-रात उन्हीं-उन्हीं का दिखाओगे तो क्यों आने देंगे गांव में। हमारा बंदा मर गया, जयप्रकाश यादव, तो तुम लोगों में से कोई उसके घर नहीं गया। सब के सब अखलाक के घर घुसे हैं। जयप्रकाश को पुलिस तंग कर रही थी, वो जेल जाने से डर गया तो गोलियां खा गया। तुम लोगों की वजह से हमारे लड़के जेल चले गए। तुम तो दलाल हो, अखिलेश ने पैसे दिए हैं मीडिया को।’ इतने में गांव के लड़कों की भीड़ आ गई। हमें इस लहजे में बोला कि बस निकल जाओ यहां से। किसी ने कान पर फोन लगाया, हमने फौरन गाड़ी घुमाई और गांव से बाहर निकल आए।
अखलाक के घर मिला गोश्त बकरे का था
बिसाहड़ा के आसपास किसी दूसरे गांव में किसी से पूछो तो इलाके के लोग कहते हैं कि अखलाक ने गाय काटी, गोमांस खाया। जबकि इस मसले पर मथुरा और आगरा लैब की रिपोर्ट आ चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार अखलाक के घर से मिला गोमांस नहीं बल्कि बकरे का गोश्त था। अखलाक के छोटे भाई चांद मोहम्मद बताते हैं कि घर में कुर्बानी का बकरे का गोश्त आया था। जो अखलाक की बड़ी बेटी अपने सीकरी गांव से ईद पर लाई थी। कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं, एक हिस्सा गरीबों को जाता है, एक हिस्सा रिश्तेदारों को और एक परिवार अपने लिए रखता है। चांद मोहम्मद का कहना है कि अगर वो गाय थी तो किसी से तो हमने खरीदी होगी?, छुरी, खून, हडिडयां, खाल, सींग कहां हैं? आरोपियों का कहना है कि उस रात अखलाक पन्नी में घर के पास कुछ फेंक कर आया। उस पन्नी को कुत्ता उठा लाया और उसमें जानवर का सिर और हडि्डयां मिलीं। इसपर चांद मोहम्मद ने कहा कि क्या गाय पन्नी में आ सकती है क्या ? हमसे तो बकरी नहीं पलती, मूर्गी तक नहीं मरती तो हम गाय मारेंगे क्या? कोई सुबूत तो दे कि वो गाय थी।
अखलाक 1988 में पाकिस्तान अपने मामा और खाला से मिलने गए थे
एक राष्ट्रीय अखबार का स्थानीय एडीशन ने खबर छापी कि अखलाक हाल ही में पाकिस्तान गए थे और तब से उनके व्यवहार में कुछ फर्क नजर आ रहा था। लेकिन चांद मोहम्मद ने बताया कि अखलाक 1988 में पाकिस्तान गए थे। कराची नंबर-38, फेड्रल एरिया में, जहां अखलाक के मामू और खाला रहती हैं। वह तीन महीने के वीजा पर पाकिस्तान गए थे। वर्ष 1998 में उनका पासपोर्ट एक्सपायर हो गया था, जिसे उन्होंने दोबारा रेन्यू नहीं करवाया।