बीकेयू के राष्ट्रीय सदर नरेश टिकैत का कहना है, ‘ केंद्र में नई बनी सरकार से हमें काफी उम्मीदें थीं। हमने सोचा था कि कृषि संकट से निपटने के लिए सरकार कठोर कदम उठाएगी लेकिन आज दो साल बाद भी किसानों और खेती को कोई फायदा मिलता नहीं दिखाई दे रहा। बल्कि संकट और गहरा रहा है। किसान आत्महत्याएं जारी हैं। किसान की स्थिति दिन प्रति दिन खराब हो रही है।‘
टिकैत का कहना है कि केंद्रीय बजट 2016-17 में किसानों को आत्महत्याओं से रोकने, कर्जा माफी आदि के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया। दूसरी ओर देश के संपन्न कॉरपोरेट को 5,51,000 करोड़ रुपये की कॉरपोरेट आयकर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क के रूप में छूट दे दी गई। दो टूक शब्दों में टिकैत ने कहा कि असमय बारिश और ओलावृष्टि से आने वाले दिनों में पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में किसान आत्महत्याओं में इजाफा हो सकता है। प्रदर्शन में पंजाब से आए किसान नेता रामकरण सिंह रामा ने कहा कि पंजाब में इस दफा हुई बारिश ने खेतों में खड़ी गेंहू की फसल बरबाद कर दी। लगातार पंजाब में यह बरबाद होने वाली तीसरी फसल है। इस वजह से यहां हालात और खराब होने वाले हैं।
- खेती-किसानों को बचाने के लिए भारतीय किसान यूनियन ने निम्न मांगे रखीं-
- किसानों को फसलों का उचित एवं लाभकारी मूल्य दिया जाए।
- किसानों का कर्जा पूरी तरह माफ किया जाए।
- प्राकृतिक आपदाओं पर केंद्रीय नीति बनाई जाए।
- किसानों की न्यूनतम आमदनी तय की जाए।
- भाजपा अपने मैनिफैस्टो में किए गए वादे अनुसार जैव परिवर्तित फसलों पर रोक लगाए।
- गन्ना किसानों का भुगतान कराया जाए।
- फसल बीमा योजना से किसानों को फायदा नहीं होगा जब तक नुकसान का आकलन, बीमे के कागज, कर्ज देने पर अनिवार्य बीमा आदि पर विचार नहीं किया जाता।
- विश्व व्यापार संगठन में किसानों के हितों से समझौता न किया जाए।